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________________ 'जीऊ' 'मैणा जिहाज, 'रंगू" 'सदा10 'फूला'' सुखकारी। 'अमरां12 'तेजू आण, वलि 'वगतू 14 वृद्धकारी। 'हीरांजी15 हीर-कणी जिसी, सती-सिरोमणि सोभती। निकलंक 'नगा 6 'अजबू” निमल, महियल ए मोटी सती ॥ ५० ‘पन्नां 18 सती पिछांण, 'गुमानां'। 'खेमां 20 गुणियै। 'रूपांजी 21 वर रीत, 'सरूपां22 समणी-सुणियै। 'वरजू 23 'विजा 24 विसाल, 'वना ऊदा हद वारु। • 'झूमा 7 'हस्तु 28 जिहाज, 'कुसाला गण सुखकारू। 'कस्तूरां 30 'जोतांजी' कही, सुद्ध संजम 'नौरा'32 सझी। इक वरस माहि व्रत आदऱ्या, पांचूं यां पीतम तजी।। ५१ सखर 'खुशाला 33 सती, पवर 'नाथां'34 पुनवंती। विनय 'विजा 35 सुविनीत, घj 'गोमां'36 गुणवंती। चरण 'जशोदा'37 चित्त, हीयै 'डाही'38 हरखंती। 'नोजां'39 निमल . निहाल, स्वाम आणा समरंती। गुणचाली अज्जा गण मैं अखी, इक सोनार सुजाणियै। कुलवंत इतर सतीयां कही, वडी वैराग वखांणियै। - दूहा ५२ सतरै छूटक नाम तसुं, 'अजबू" 'नेतू ताय। वले 'फत्तू' नैं 'अखू", फिर 'अजबू' कहिवाय॥ ५३ चंदू' 'चैना” छूटक वलि, 'धनू केली" धार। 'रत्तू 10 'नंदू11 फिर 'रतू 12, 'वनां13 थइ गण बार। ५४ 'लालां 14 परवस नीकळी, 'जसु15 'चोखी 16 'वीरा” जांन। सतरै छूटक सांभळी, गणं गुण्याली सुज्ञान।। (ज्यांरा इन्द्र नरेन्द्र रुखवाळा) ५५ भीक्खु हुआ ओजागर भारी, हद करणी री बलिहारी। नित याद आवै मुझ मन, तन मन अति होय प्रसन्न हो लाल।। जिन शासन में सुखदाता॥ भिक्खु जश रसायण : ढा. ५२ १८३
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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