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४१ जयो जीवराजं अरु जोगीदासंग, दमीश्वर जोधौ तपै देह त्रांसं।
भगो नाम नीकौ भीक्खू शीष भारी, सही भागचंद” पछै ही सुधारी।। ४२ थयो भोप28 भारी तपे ध्यान थापी, पका संत सूरा भीक्खू नैं प्रतापी। रह्या स्वाम आण 'धुरां-छेह'रुड़ा, सही के टली नैं थया फेर सूरा॥ अख्या संत नामं अठावीस आछा, जिके जीव ताऱ्या भीक्खूस्वाम जाचा।।
छप्पय ४३ इसा भीक्खु अणगार, सार जिन मारग सोधी।
अधिक कीयौ उपगार, बहु भवि नैं प्रतिबोधी। समणी-संत सुजाण, सखर कीधा सुखकारी। परम-धर्म पहिछांण, धुरा जिन आणा धारी। अरु देशव्रत धारक अधिका, नित्य कृत भजन तुम नाम कौ। सुख करण सरण हद जग सुजश, सखर भीखनजी स्वाम कौ।।
दूहा '४४ अष्टवीस मुनिवर अख्या, सखरा गण
सिणगार। बीस थया गण बाहिरै, तास नाम अवधार॥ ४५ वीरभाण' लिखमो' वली, अमरोजी'
अभिधान। तिलोक' मोजीरामजी', चंद्रभांणजी'
जान। ४६ अणंदोजी' पनजी अख्या, संतोष' शिवजीराम .. संभू" संघजी रूपजी', लघु रूपजी तांम।। ४७ सुरतौजी' संघ सूं टळ्यौ, मयाराम ___पहिछांण।
विगतौ" खुशालजी वली, ओटो" नाथू जाण।। ४८ केका नै न्यारा किया, केयक टळिया आप। अब कहियै छै अर्जिका, चतुर सुणौ चुप चाप।।
छप्पय ४९ 'कुसला' 'मटु कहाय, 'सुजांणां" कहियै साची। ___ 'देउ'५ 'गुमानां देख, 'कसूंबाजी"नहि काची। १. आदि से अंत तक।
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भिक्खु जश रसायण