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३० ए स्वाम तणौ गण सारू, छप्पन गण चरण प्रकारू।
सतरै छूटक हुइ अज्जा, छोड़ी लोकिक लोकोत्तर लज्जा हो लाल॥सतियां. ३१ रही गुणचाळीस गण राची, पिउ छांड सात व्रत जाची।
दोय बहिन भायां रा जोड़ा, सतजुगी वैणीरांम सु होडा हो लाल।। सतियां. ३२ ऋष रायचन्द मा साथै, संजम लीधौ पूज हाथै।
आख्यौ समणी नों अधिकारी, ओ तौ भीक्खू तणौ उपगारौ हो लाल॥ सतियां. ३३ आगै संत कह्या अड़ताळी, अज्जा... छपन इहाँ भाळी। ... सहु थया एक सौ च्यार, स्वामी गण लियौ चरण सुसार हो लाला। सतियां. ३४ बीस सतर गण वारी, अठवीस " गुणचालीस सुधारी।
बीसां मैं रूपचंद सुद्ध रीतं, राखी स्वाम तणी प्रतीत हो लाल।। सतियां.
छंद
(भुजंगी) ३५ थया संत मोटा बड़ा सुथिर्पालं', भलूं नंद नीकौ फतेचंद भालं।
विनयवंत वारु सुटोक्रं विशालं, निजानंदकारी हरुनाथ न्हालं॥ ३६ भला धर्म धोरी मुनि भारीमालं', चल्या आप चारू वडा नी सुचालं।
अखैस्थान काजै अखैराम आछा, सदानंदकारी सुखाराम' साचा।। ३७ सिवानंद सारू सिवौ स्वाम शीशं, नगो' स्वाम नीकौ नगिंद्र नमीसं।
भला सामजी संत हुआ सुभारी, सही खेतसीजी" सदा शांतिकारी। ३८ ऋषी राम" रूड़ी भीक्खु शीस राजै, वलि नांनजी स्वामी स्वामी नीवाजै।
निभै नेम जाचा' मुनि नेम नामं, वडो संत ज्ञानी भलौ वैणीराम। ३९ वली संत मोटौ बड़ौ वर्द्धमानं", सुखौ” स्वाम साचौ सुध्यानं सुग्यानं।
हदां हेम जैसा सु हेमं हजारी, उदैराम' आछौ तपस्वी उदारी॥ ४० ऋषी पाट थाप्यो मुनि रायचंद, दिपै तेज तीखौ सुमेरु दिनंदं।
भलौ संत तारासुचंद्र भणीजै, गिरेन्द्र समौ संत डूंगर गिणीजै॥
१. स्वामी भीखणजी के अनुग्रह को प्राप्त २. संयम यात्रा। करने वाले।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ५२
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