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१७ दुख घरकां बोहळौ दीधौ, सती अडगपण व्रत लीधौ। हस्तु गुण ज्ञान भंडारौ हो लाल । सतियां. सतजुगी नीं बहिन व्रत लहियै । संजम ले पामी साता हो लाल । सतियां. सुखदाता हो लाल सतियां.
लाहवै संथारौ, रावळीयां रा कहियै,
ऋष रायचंदजी नीं माता, जिन शासन मैं १९ भल हस्तूजी नीं भगनी, सुत पीउ छांड व्रत धारो, २० ल्हावा थी संज़म लीधौ,
ताणू
१८ 'कुशालांजी
घणी बुद्धि अकल गुणवंती, २१ सिरियारी ना सुमगन मैं,
संथा बोहिंतरे सीधौ, २२ सुद्ध एक वरस मैं सिख्या, पांचांइ पिउ नैं छंडी, २३ गुणसठै वरस गुणवंती, त्यांमै तीन जण्यां इक साथै, २४ 'कुशालांजी '०' नाथांजी '5' विजांजी 52, तीनंं शीलामृत कूंपी, २५ सतंतरै कुशालांजी संथारौ, माधोपुर मास कार्त्तिक मैं, २६ नाथाजी गांम जासोल न्हाली,
संसारी लेखै ऋधवंती, २७ तप दिवस बत्तीस सुतपिया,
तीन दिवस तणौ संथारौ, २८ सरूप भीम जीत ना ताह्यौ,
गुणसठै दिख्या गुणवंती, २९ ' जशोदा 54 खेरवां नीं वासी, संजम भिक्खु छतां सारो,
१. सरदारगढ (लावा)
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सती 'कस्तूरी' सुभ लगनी। सतंतरै उजेण संथारौ हो लाल ॥ सतियां. पिउ छांड परम रस पीधौ । 'जोतांजी " महा जशवंती हो लाल।। सतियां. छांड्यौ पिउ सुत तिण छिन मैं । 'नोरांजी 49 जग जश ली धौ हो लाल ॥ सतियां. दुरमति तज लोधी दिख्या। ज्यां री प्रीत मुक्ति सूं मंडी हो लाल ॥ सतियां. बहु चरण धार बुद्धिवंती । हद दिख्या भीक्खू नैं हाथै हो लाल।। सतियां. पाली ना त्रिहुं भ्रम-भांजी। दिख्या दे नै व्रजूजी नै सूंपी हो लाल॥ सतियां. भारीमाल भेळा सुविचारो । परलोके पोहता छिनक मैं हो लाल ।। सतियां. वर संथारौ सुविशाली | समणी सुध प्रकृति सोहंती हो लाल ॥ सतियां. जिन जाप विजांजी जपिया। वरस छयांसीये अवधारौ हो लाल । सतियां. 'कलूंबै काकी कहिवायौ । 'गोमांजी ३ नेउए पार पोहंती हो लाल। सतियां. 'डाहीजी 55 'नोजांजी 56 विमासी । बहु वर्सा पाछै संथारो हो लाल ।। सतियां.
२. कौटुम्बिक
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भिक्खु जश रसायण