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'संजम बावनै'
सधीकौ, खुशालांजी री लघु बहिन कहियै, ७ 'सरूपांजी '38 कंटाळ्यै संथारौ, माधोपुर ना वसवांनो, वदीत विमासी,
तिण रौ भीक्खू तोल बधायौ, ९ ' विजाजी 40 महा व्रधकारी, करड़ौ तप छेहड़ै कीधौ, १० ' वनांजी '41 सुविनयवंती, सुध चरण पाळ चित संती। सुखदायक गण सुविशाली, सती आतम नैं उजवाळी हो लाल ।। सतियां. दीधी भीक्खु एक दिन दिख्या। समणी हद मुद्रा सारो हो लाल ।। सतियां.
सोरठा
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१२ वीरां 42 जाति कुभार रे, संजम प्रकृति असुध अपार रे, तिण कारण ( ज्यांरा इन्द्र नरेन्द्र रुखवाळा )
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८ 'वरजूजी 3
११ सुद्ध यां तीनां नै सिख्या, सखरौ छेहड़ै संथारौ,
सतावनैं संथा नीकौ, रूपांजी जग जश लहियै हो लाल॥ सतियां. अग्रवाल जाति अवधारौ । सुत तीन तजी व्रत ध्यानो हो लाल।। सतियां. रूड़ी सील गुणां री रासी । सती सुजश शासन मैं पायौ हो लाल॥ सतियां. धर चरण- सील सुखकारी। सती जग मांहै जश लीधौ हो लाल । सतियां.
तिण वरस हुवौ १६ संसार लेखै
१३ ' उदांजी 43
उद्यमवती, सती जाति सोनार
सोहंती ।
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सार।
छपने वर्स संजम १५ वर्स सतावनें
बहु वर्सा चरण सुविचारौ, आंवेट माहै संथारौ हो लाल।। सतियां. १४ 'झूमांजी ' जाति पोरवाल श्रीजीदुवारा ना लीधौ, स्वाम पछै संथारौ सीधो हो लाल । सतियां. सुविचारौ, चरण हितकारी । उपगारौ, तिण रौ सांभळजौ विस्तारौ हो लाल । सतियां. सो भाया, लखपती ल्होड़ै लीयौ चरण पिउ सुत छंडी हो लाल ॥ सतियां.
ऋषराय
सजनाया' ।
मतिवंत 'हस्तु 45 महि मंडी,
१. शासन विलास, ढा. २, गा. ३० तथा साध्वी कुशालांजी (४६) की गुण वर्णन गीतिका गा. ३९ में ९साल साधुत्व पालने का उल्लेख होने से दीक्षा वर्ष १८४९ ठहरता है। विस्तृत समीक्षा 'शासन - समुद्र' में वर्णित
भिक्खु जश रसायण : ढा. ५२
पै,
लीधौ स्वाम गण सूं टळी ॥
साध्वी रूपांजी (३६) के प्रकरण में पढ़ें। २. ओसवाल जाति में जो बीसा हैं वे 'बड़े साजन' और जो दसा हैं वे 'ल्होड़े साजन' कहलाते हैं।
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