________________
२७ दृष्टंत स्वाम इसौ दीयौ, सुध हेतु मिलाया सार रे। ___भारी-कर्मा सुण द्वेष माहै भरै, चित पांमैं उत्तम चिमत्कार रे।। तुम्हे. २८ स्वाम सावज्ज-निरवद सोधीया, व्रत-अव्रत जूआ वताय रे।
आज्ञा-अणआगन्या ओळखायने, दीधी दान-दया दीपाय रे। तुम्हे. २९ भीक्खू स्वाम प्रगटीया भरत मैं, आप कीधौ अधिक उद्योत रे। __ऐसौ उपगारी कुंण इण काळ मैं, जिन ज्यूं घण घट घाली जोत रे।। तुम्हे. ३० इसा उपगारी गुण आगळा, त्यांरा दृष्टंत सांभळ तंत रे।
हळुकर्मी हरख हिवडै धरै, बहुलकर्मी रौ मूंह विगड़त रे।। तुम्हे. ३१ तंत ढाळ कही साततीसमी, स्वामी मेल्या है न्याय साख्यात रे।
रखे संका-कंखा भर्म राखनै, मत पडिवजजो' मिथ्यात रे। तुम्हे.
१. धारण करना।
भिक्ख जश रसायण : ढा.३७
११७