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दूहा १ किणहिक भीक्खू नै कह्यौ, पाखंडी
पहिछांण। सूत्र-सार जिन वच सरस, वाचै सखर वखांण।। २ स्वाम कहै-तुम्हे सांभळी, वाचै
सूत्र-वखांण। जीव खवायां पुन्य मिश्र, छेह. इम करै छांण॥ ३ जिम बायां रातीजगैरे, संसार लेखै जान। - गीत भल-भला गावती, तीखै मन कर। तांन॥ ४ गीतां छेह. गावती, मोर्यो-मारू३
मंद।। __ज्यूं प्रथम सूत्र 'प्रगमाय नै", छेह. सावज फंद। ५ दीपावै सावज दया, दाखै सावज्ज दांन॥
मोऱ्या-मारू नी परै, सर्व बिगाडै तांन॥ ६ किणहिक भीक्खू नै कह्यौ'- बुद्धिहींण इक बाल।
भाठा सूं कीड्यां भणी, कचरंतो तिण काळ।। ७ उण रौ पथर लै उरहौ, खोसी करी कषाय।
कहौ तिण नैं कासं थयो? जद स्वाम कहै सुण वाय॥ ८ तसुं पासा थी खोस लै, तसुं कर मैं स्यूं आत?
तब ऊ बोल्यौ उण तणें, भाठौ आयौ हाथ।। ९ भाखै पूज-विचारलौ, धर्म जिण आज्ञा माय। जबरी कौ जिण नां कह्यौ, इम सर्व वस्तु गिणाय॥
ढाळ : ३८
(सल कोई मत राखज्यो) १ किणहिक भीक्खू नै कह्यौ- टोळावाळा ताह्यौ रे। आप साध न सरधौ यां भणी रे, तो साध कहौ किण न्यायो रे॥
तंत दृष्टंत भीक्खू तणा।।
१. भि. दृ. १८४।
३. खराब गीत। २. विशेष अवसरों पर औरतों द्वारा ४. आगम के अनुसार सिद्धांत बतलाकर। मांगलिक गीत गाते हुए किया जाने वाला ५. भि. दृ. १२४। रात्रि-जागरण।
६. बल प्रयोग। ७. भि. दृ. ९८।
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भिक्खु जश रसायण