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२ वर्लोवर्से लोच करावता, सीत-तापादि सहै साख्यात रे।
विहार नवकल्पी विचरता, तौ औ क्यूं नहीं साध कहात रे? तुम्हे. ३ स्वाम कहै तुम्हे सांभळो, थिर चारित्र इम. किम थाय रे।
जेहवी ‘वणी-वणाई ब्राह्मणी', तिण रा साथी ए पिण कहिवाय रे। तुम्हे. ४ कुंण वणी-वणाई-ब्राह्मणी? तब स्वाम कहै सुविसेख रे।
मेरां रौ इक गांव घाटा मझै, उठै उत्तम घर नहीं एक रे॥ तुम्हे. ५ महाजन आवै सो दुख पावै घणां, जब कह्यौ मेरां नैं जांम रे।
अठै उत्तम घर नहीं एक ही, तिण सूं दुख पावां छां तांम रे।। तुम्हे. ६ घणी लागत देवां छां थां भणी, उत्तम घर विण इहां अवधार रे।
पांणी रोटी तणी अबखाई पड़े, सुद्ध राखौ उत्तम घर सार।। तुम्हे. ७ जद मेरां सैहर मांहै जायनै, महाजनां नैं कह्यौ मन ल्याय रे।
उत्तम वसौ म्हारै गांम आयनै, तिण रौ ऊपर राखसां ताय रे।। तुम्हे. ८ इम कह्यौ पिण कोइ आयौ नहीं, एक ढेढां रौ गुरु मूंऔ आंम रे।
तिण री अस्त्री गुरुड़ी तदा, तिण नैं मेरां आंणी तिण ठाम रे। तुम्हे. ९ वणाइ मेरां तिणनैं ब्राह्मणी, ब्राह्मणी जिसा वस्त्र पैहराय रे।
जागा कराय धवल राखी जिहां, तुलसी रौ थांणौ रोप्यौ ताय रे। तुम्हे. १० दोय रुपीयां रा गोहूं आणे दीया, अधेली रा मूंग दिया आण रे।
एक रुपीया तणौ घृत आपीयौ, वर्दै मेर तेह. इम वांण रे। तुम्हे. ११ पइसा लेई महाजन रा पासा थकी, आवै ज्यां नैं रोटी कर आप रे।
वर्ण११ पूछ्यां वतावजै ब्राह्मणी, थिर जाति फलाणी थाप रे। तुम्हे. १२ जाता-आता महाजन आवै जिके, पूछ उत्तम घर पहिछांण रे।
ब्राह्मणी रौ घर मेर वतावता, इम काळ कितोयक जांण रे।। तुम्हे. १३ इतरै च्यार व्यापारी आवीया, घणां कोसां रा थाका ते गांम रे।
आय पूछ्यौ मेरां नै इण तरै, उत्तम घर वताऔ आंम रे? तुम्हे.
१. भि. दृ. ११६। २. राजस्थान की एक आदिवासी जाति। ३. पहाड़ों के बीच का रास्ता। ४. खर्चा/कीमत। ५. तकलीफ ६. अधिक सम्मान/देखरेख।
७. गुरुणी-ढेढ की पत्नी। ८. अठन्नी। ९. कहने लगे। १०. दो। ११. जाति।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ३७
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