________________
१५ पुन्यवाळा कहै पूज नैं, सुणौ भीखणजी बात लाल रे। ___ महाखोटी सरधा मिश्र री, किहांइ मेल न खात लाल रे॥ जोयजो. १६ भीक्खू स्वामी' इम भणे, किण री फूटी एक लाल रे।
किण री दोय फूटी सही, वारू करलौ विवेक लाल रे।। जोयजो. १७ मिश्र कहै छै मानवी, त्यां री फूटी एक लाल रे।
पुन परूपैपाधरौ, दोनूं फूटी देख लाल रे॥ जोयजो. १८ जाब दीयै इम जुगत सूं, अहो-अहो बुद्धि अनूप लाल रे। ___अहो-अहो! खिम्या आपरी, चित्त चरचा हद चूंप लाल रे।। जोयजो. १९ तूं२ . चिंतामणि सुरतरु, पंचमै कीयौ प्रकास लाल रे।
आसापूरण आप छौ, वारू तुझ विसवास लाल रे।। जोयजो. २० तंत ढाळ तेतीसमी, भीक्खू गुण भंडार लाल रे।
अंतरजामी माहरा, सुख संपति दातार लाल रे।। जोयजो.
१.भि. दृ. १२६। २. दियौ (क)।
३. तुम (क)। ४. पांचमे आरे में।
१०४
भिक्खु जश रसायण