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३ पूज कहै-घट मैं दया, कीड़ी पै दया नहि काय लाल रे।
किण रा जतन करणा कहौ? साचौ जाब सुहाय लाल रे।। जोयजो. ४ करणा यत्न दया तणा, के कीड़ी रा जतन कराय लाल रे?
उ कहै-जत्न दया तणा, इम साच वोली आयौ ठाय लाल रे। जोयजो. ५ त्रिविध त्याग हणवा तणा, ए दया संवर रूप देख लाल रे।
त्याग विनाई हर्णै नहीं, सखर निर्जरा संपेख लाल रे।। जोयजो. ६ इमज छकाय हर्णै नहीं, दया तेहिज दीपाय लाल रे।
जगत हर्णै जीवां भणी, निज-पोता री दया न जाय लाल रे। जोयजो. ७ भारी बुद्धि भीक्खू तणी, सखर सिद्धत संभाळ लाल रे।
न्याय मिलाया निरमळा, भांज्या भर्म भयाळ लाल रे। जोयजो. ८ किणहिक' इम पूछा करी, महा मोटो मुनिराय लाल रे।
अति ही थाकौ उजाड़ मैं, चालण शक्ति न काय लाल रे।। जोयजो. ९ सैहजेई गाड़ौ आवतौ, तिण गाडा ऊपर बेसांण लाल रे।
गांम माहै आंण्यौ सही, तेहनैं कांइ थयौ जांण लाल रे।। जोयजो. १० भीक्खू कहै-गाडी नहीं, पूंणीया आवत पेख। ____ गधै चढाय आंण्यो गांम मैं, तिण मैं स्यूं थयौ तुझ लेख लाल रे? जोयजो. ११ तब ऊ बोल्यौ तड़कनै, गधा री क्यूं करौ बात लाल रे?
स्वाम कहै-साधू भणी, दोन अकल्प देखात लाल रे।। जोयजो. १२ गाडे बेसांणे आण्यौ गांम मैं, थे धर्म तणी करौ थाप लाल रे।
तौ गधै बैसांण्यां ही धर्म है, पापछै तौ दोयां मैं इ पापलाल रे॥जोयजो. १३ उत्पत्तिया बुद्धि आकरी', निरमळ चारित नीत लाल रे।
सरधा सुद्ध सोधी सही, वारू स्वाम वदीत लाल रे। जोयजो. १४ पाणी अणगळ' पावीयां, केइ पाखंडी कहै पुन लाल रे।
केयक मिश्र कहै तिहां, जे दोनूंइ सरधा जबून लाल रे।। जोयजो. १. भि. दृ. १५३।
४. आपरी (क)। २. सहज रूप में/अनायास
५. अनछाना। ३. पूणी-रुई की बनी हुई पोणी/वत्ती, ६. ते (क)।
जिसे कातने पर सूत का धागा बढ़- ७. निकृष्ट, मिथ्या। चढ़कर निकलता है, उनको विक्रयार्थ गधों पर लाद कर लाने वाले।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ३३
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