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१६ तसकर नौं दूजौ दृष्टंत तेह, सांभळजो ससनेह रे।
किणहि मेश्री' नी हाटे किण वार, ऊतरीया अणगार रे॥ समजू. १७ तसकर रात्रि समैं तिण वार, खोल्या है आय कमाड़ रे।
तब मुनिवर कहै जागी नै तांम, कुंण हौ? आया किण काम रे? समजू. १८ कहै तसकर-म्हे तो चोर कहाया, इहां चोरी करण नैं आया रे।
सहंस रुपीया री थेली मेहली सेठ, निडर ले जावसां नेठ रे।। समजू. १९ तब साधु उपदेश देवै तिण वार, कह्या चोरी रा फळ दुखकार रे।
आगे नरक-निगोद नां दुख अधिकाया, भिन-भिन भेद बताया रे। समजू. २० धन तौ न्यातीला सहु मिल खासी, परभव दुख तूं पासी रे।
रूडौ उपदेश देइ मुनिराया, त्याग चोरी नां कराया रे।। समजू. २१ तसकर कहै-मुझ डूबतां तार्यो, विषम कर्म स्यूं वार्यो रे।
वारू विविध गुण करत विख्यातं, प्रगट थयौ प्रभातं रे॥ समजू. २२ इतलै दुकांन तणौ धणी आयौ, ग्यांन नहीं घट माह्यो रे।
पेढी नैं नमस्कार करि प्रसीधो, कांयक लटकौ साधुनैई कीधौ रे।।समजू. २३ तसकर नै पूछा करी तिवार, कुंण हो? खोल्या किण दुवार रे?
तसकर बोल्या-म्हे चोर छां तांम, अब तौ त्यागे दीधी आंम रे।। समजू. २४ हुंडी बटाय नै रुपिया हजार, थेली माहै मेहली थे तिवार रे।
सो म्हे सांझे देखता था सोय, आया लेवण अवलोय रे।। समजू. २५ साधां उपदेश देइ समजाया, चोरी नां लखण छोड़ाया रे।
साधा रौ भलौ होयज्यो काज साऱ्या, तुरत डूबतां नैं ताऱ्या रे॥ समजू. २६ मेसरी सुण नैं हरख्यौ मन माह्यौ, पड़ीयौ साधां रै पायो रे। .
आप म्हारी हाटे भलाइ ऊतरीया, सकल मनोरथ सरीया रे।। समजू. २७ थेली म्हारी आपराखी थिर थापी, प्रत्यख ले जावता चोर पापी रे।..
हिवडां ले जावता रुपीया हजार, निपट हुँतो निराधार रे॥ समजू. २८ च्यार पुत्र मुझ चतुर विचारा, कर्म वस रहिता कुंवारा रे।
सुत च्यारूंई परणावसूं सार, ओ आप तणौ उपगार रे॥ समजू.
१. महेश्वरी। २. निश्चित। ३. डूबता ने (क)। ४. दुकान।
५. नमस्कार का दिखावा। ६. भुनाकर। ७. बिलकुल।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ३२
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