________________
२ तंत दृष्टंत भीक्खू तणा, तंत वचन तहतीक ललना।
तंत स्वाम नाव तारणी, न्याय तंत निरभीक ललना। तंत. ३ पइसौ मेहलै पांणी मझै, ततखिण डूबै तेह ललना।
उणहीज पइसा नैं अग्नि मैं, अधिक तप दे एह ललना।। तंत. ४ कूटी-कूटी वाटकी करी, तिरै उदक मैं ताय ललना।
वलि उण वाटकी नैं विषै, पइसौ मेल्यां तिराय ललना॥ तंत. ५ तिम जीव संजम-तप करी, करै आतम हळकी कोय ललना।
कर्म-भार अळगौ कीयां, तिरियै भव-दधि तोय ललना।। तंत. ६ किणहिक स्वाम भणी कह्यौ, दुरंगा पात्रा देख ललना।
काळा-धोळा-लाल किण कारण? स्वाम कहै सुविशेष ललना॥ तंत. ७ विविध रंग कुंथुआ हुवै, इक रंग सूं दूजा पर आय ललना। . सांप्रत दीसणौ सोहिलौ, कारण एह कहाय ललना।। तंत. ८ अतिभार हींगलू एकलौ, काळौ फोरों कहिवाय ललना।
वलि सोहरौ वासी' उतारणो, इत्यादिक ओळखाय ललना॥ तंत. ९ जू जूआ रंग देवै जुदा, निगम में वरज्या नांहि।
वरज्या ते ममत्व भावे करी, ते ममत री थाप न ताहि ललना। तंत. १० बालपणें स्वामी वैणीरामजी', भीक्खू प्रतै भाखंत ललना।
हींगलू सूं पात्रा रंगणा नहीं, तब कहै भीक्खू तंत ललना। तंत. ११ म्हारै तो पात्रा रंग्या अछै, तुझ मन संका है तांम ललना।
तौ तुझ पात्रा रंगौ मती, म्हे तो दोष न जांणां आम ललना।। तंत. १२ तब बोल्या वैणीरामजी- केलू थी रंगवा रा भाव ललना।
भीक्खू तास भली परै, निर्मल वतावै न्याव ललना।। तंत. १३ जो कैलू लेवा तूं जाय छै, पहिला पीलौ कचा रंग रौ पेख ललना।
पका लाल रंग रौ आगै पड्यौ, पहिलौ छोड़णौ नहीं तुझ लेख ललना। तंत. १४ पहिला देख्यौ कच्चा रंगरौ परहरी, चोखौ केलू हेरै चित चाय ललना।
जद तौ ध्यान घणां रंग रोज छै, इम कहि. दीया समजाय ललना।। तंत.
१. रखे। २. जल। ३. भि. दु. १६१। ४. हल्का ।
५. चिकनाहट। ६. सूत्र/आगम। ७. भि. दृ. १६०। ८. खपरेला ९. खोजता है।
भिक्खु जश रसायण : ढा. ३१