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१४ तब ते बोल्यो-परहौ भागै तेलो, वलि पूज बोल्या वायो रे लोय। __ भुंगरा सूं ई तेलौ परहौ भागै, दोष थाप्यां संजम किम ठहरायो रेलोय? स्वाम. १५ काळ दुषम रै माथै काय न्हाखौ, 'नेय? छहुं" चरण ते नीकौ रे लोय।
पंचम चौथा आरां मैं प्रत्यख, सहुरै त्याग है एक सरीखो रे लोया स्वाम. १६ दोष लागां रो डंड दोनूं आरां में, डंड लीधां चारित्र दोनूं आरौ रे लोय।
दोनें आरां मांहै दोष थाप्यां तूं, चारित दोन आरां मैं हुवै छारो रे लोय। स्वाम. १७ भीक्खू स्वाम दृष्टंत भली पर, वारू भिन्न-भिन्न भेद बताया रे लोय।
ज्यां पुरसां जिण-माग जमायौ, स्वामी च्यारतीर्थसुखदायारेलोय॥स्वाम. १८ एहवा पुरसां रा औगुण बोलै, कृतघ्न कर्म-रेख काळी रे लोय।
दुर्लभ बोध अवर्णवाद सूं दाख्यौ, सूत्र ठांणांग लीजो संभाळी रे लोय। स्वाम. १९ अष्टवीसमी ढाळ अनोपम, भीखू रा दृष्टंत भाळी रे लोय।
उत्पत्तिया भेद मति रौ है आछौ, नंदीमैं पाठ नीहाळी रे लोय।।स्वाम.
१. छह प्रकार के नियंठ/निग्रंथों में। २. ठाणं ५/१३३।
३. नंदी सूत्र ३८। ४. देखो।
भिक्खु जश रसायण : ढा. २८
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