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________________ २ गांठ कसूंबा री गाढी बांध, पोतै गळीयां विण रंग न पमावै' रे लोय। ज्यूं वैराग हीण तणी वांणी सूं, अति वैराग किण विध आवै रे लोय।। स्वाम. ३ वेषधारी कहै म्हे जीव वचावां, भीखनजी नांहि बचायो रे लोय। भीक्खू कहै थांरा रह्या वचावणा, मारणाज छोड़ो मनल्यायो रे लोय।।स्वाम. ४ थानक माहै रहौ किवाड़ जड़ौथे, जीव घणां मर जावै रे लोय। किवाड़ जड़वा रा सूंस कियां तूं, घणां जीवां री घात न थावै रेलोय।।स्वाम. ५ चौकीदार हुँतौ सो चौकी दैणी तौ छोड़ी, चोरी करवा लागौ छांनैः-छांनै रे लोय। कहै लोकां नैं चौकी यूं करूंजाबता, मैंनत रा पइसा देवौ थे म्हांनै रे लोय। स्वाम. ६ चौकी रही थारी चोऱ्यां छोड़ तूं, बोल्या लोक तिवारै' रे लोय। दिन रा तौ घर-हाट देखी जावै, पछै रात्रि समैं आय फाडै रे लोय। स्वाम. ७ पइसौ पइसौ तो. देसां परहौ, घर बैठां नैं गिणायो रे लोय। ज्यूं भेषधारी कहै म्हे जीव बचावां, मारणा छोड़ो भीक्खू फुरमाओ रे लोय।। स्वाम. ८ किण ही पूछ्यौ-ऋषपाल मुनि कह्या, ऋख्या करै किण रीतो रे लोय। भीक्खू कहै-ज्यूं छै तिमहिज राखणा, आघा-पाछा न करणा अनीतो रे लोय।। स्वाम. ९ पशु नीलोती चरतां नै मुनि पेखै, किम ऋषपाल कहीजै रे लोय। त्रिविधे-त्रिविधेहणवौ त्याग्यौ ते रुक्षक, अभय सर्व नैं आपीजै रे लोय। स्वाम. १० कोइ कहै हिवड़ां पंचम काळ छै, पूरौ साधपणौं न पळायौ रे लोय। तब पूज कहै-चोथा आरा मैं तेलौ, कितरा दिनां रौ कहायो रे लोय? स्वाम. ११ तब ते बोल्यौ-तीन दिन रौ तेलौ, चौथे आरै चित चाह्यौ रे लोय। भीक्ख पछ्यौ-एक गरौ भोगव्यां, तेलौ रहै कै भागै ताह्यौ? रे लोय। स्वाम. १२ तबते बोल्यौ-'परहौ१ भागै' तेलौ, इम चौथा आरा रो तेलौ ओळखायो रे लोय। फेर स्वामी पूछ-पंचम आरै, किता दिवस रो तेलौ कहायौ रे लोय? स्वाम. १३ तब ते बोल्यौ-तेलो तीन दिनां रो, पंचम आरै पिछांणी रे लोय। भीक्खू कहै-एक बूंगरो खाधां, सुद्ध रहै कै भागै सो जांणीरे लोय? स्वाम. १.रंगीन नहीं बना सकता। ७. रक्षा। २. भि. दृ.६५। ८. भि. दृ. १५०। ९. हरियाली। ४. सुरक्षा/परिश्रम। १०.भि.दृ.६! ११. खंडित हो जाए। ६.संरक्षकारखवाला। ३ विपकर। - - " .. ..... ... ... ५. तब। भिक्ख जश रसायण
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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