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दूहा
पासा
आप।
१ भारीमाल सोभै भला, पूज भीखणजी
वारू कळा वखांण की, घन जिम शब्द गुंजास॥ २ नित्य वखाण दै निरमळौ, ऊपर भीक्खू
दांन-दया दीपावता, सुणतां टलै संताप।। ३ हळुकर्मी हरखै घणां, भारीकर्मी
भिडकंत। अळगा ही अवगुण करै, विकल वचन विलपंत॥ ४ किणहिकभीक्खू नैं कह्यौ, वर तुम करौ वखांण।
निंदक औ निंद्या करै, अळगा । बैठ अजांण॥ ५ भीक्खू उत्तर दै भलौ, स्वान तणौज स्वभाव।
झालर को झिणकार सुण, रोवण केरौ राव।। ६ नीच इती जांणै नहीं, ए झालर अधिकार।
व्याहव तणी वाजै अछै, कै मुंआ नी धार? ७ ज्यूं ए पिण जाणै नहीं, वाचै ग्यांन वखांण।
राजी द्वैणौ ज्यांहि रह्यौ, अवगुण करै अजांण॥ ८ उलटी निंद्या औ करै, निद्या तणौज न्हाल।
स्वभाव यांरौ छै सही, झूठी करै झखाल। ९ ऐसी बुद्धि उतपात री, निमळ अपूर्व न्याय। मेलै मुनि महिमानिला, स्वाम घणां सुखदाय॥
ढाळ : २७
(हो म्हारा राजा रा) १ स्वाम भीक्खू गुरु महा सुखदाई, भारीमाल शीष अतिभारी।
अमृत वाण सुधा सी अनोपम, हद देशना महा हितकारी।। हो म्हारा सासण रा सिणगार स्वामीजी, भीक्खू भारीमाल ऋषभारी॥ध्रुवपद।।
१. बाद में। २. भि. दृ. १९ ३. शब्द।
४. विवाह, व्याव (क)। ५. मुवां (क)। ६. बकवास।
भिक्खु जश रसायण