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दूहा
१ आधाकर्मी जायगां, थानक तिण रौ नाम।
एहवा थानक भोगवै, वले कहै निर्दोषण तांम॥ २ वले कहै म्हे मुख सूं कद कह्यौ? जद बोल्या-भीक्खू स्वाम'।
जाय जमाई सासरै, तौ पिण न कहै ताम॥ ३ मुझ निमतै सीरौ करौ, इम तौ न कहै तेह।
पिण कीधोरौ भोगवै, जद दूजी बार करेह। ४ जो सीरां नां सूंस कहै, तौ न करै दूजी बार।
त्याग नहीं तिण सूं करै, भोजन विविध प्रकार। 5 ज्यूं भेषधारी रहै थानक मझे, वले कहै मुख सूं तांम।
थानक मुझ निमतै करो, इम म्हे कद कह्यौ आंम? 6 त्यां निमते कीयौ भोगवै, फिर करै . दूजी वार।
त्याग करै थानक तणा, तौ आरंभ टळे अपार।। 7 वली डावरौरे कद कहै, करौ सगाई मोय।
पिण सगपण कीधा पछै, कुण परणीजै सोय? ८ वलि बहु बाजै केहनी, घर किण रौ मंडाय।
डावरा तणौज जाणंजो, थानक एम गिणाय॥ ९ थांनक बाजै तेहनौं, माहै पिण रहै तेह। न कह्यौ थांनक नौ तिणां पिण सहु काम करेह।
ढाळ : २६
__ (नहीं इसौ दूसरो महावीर) १ गछवास्यां रै उपासरौ रे, मथेण तणै पोसाल। फकीर रै तकीयौ कहै रे, नाम में फेर नीहाल॥ रे जीव! स्वाम बुद्धि अति सोभती रे, निरमल न्याय नीहाल।।
रे जीव! स्वाम बुद्धि विसाल।। ध्रुवपद।।
१. भि. दृ. ६४ २. लड़का। भि. दृ. ६३। ३. सगाई।
४. उन लोगों ने। ५. भि.दृ.३०८ ६. महात्मा/विद्या गुरु।
भिक्खु जश रसायण : ढा. २६
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