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करने का निश्चय किया। उसी समय जिस सर्प ने मृगसेन को काटा था उसी ने घण्टा को भी काट दिया। वही घण्टा धीवरी गुणपाल की कन्या विषा हुई है । पूर्वजन्म के संयोग के कारण इनका पुनः मिलन हुआ ।
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तृतीय लम्ब
गुरु शिष्य की इस बात को सुनकर गुणपाल सेठ आश्चर्य चकित हो गया। उसने सोमदत्त नामक बालक को मारने का निश्चय किया । सेठ ने सोमदत्त को मारने के लिए एक चाण्डाल को नियुक्त किया । चाण्डाल ने सेठ से रुपये लेकर उसे मारने का वचन तो दिया किन्तु उसे मारने की उसकी जरा भी इच्छा न थी । उसने सोमदत्त को अंधेरा हो जाने पर गाँव के बाहर नदी के तट पर जामुन के वृक्ष के नीचे डाल दिया और स्वयं घर आ गया।
दूसरे दिन प्रातः काल अपनी गायें चराने हेतु गोविन्द नाम का ग्वाला उसी रास्ते से निकला। उसने वृक्ष के नीचे पड़े हुए बालक को उठाया और ले जाकर अपनी पत्नी धनश्री को दे दिया । निःसन्तान दम्पत्ती उस बालक को बड़े स्नेह से पालन करने लगे। बालक यह जानता था कि उसके माता-पिता धनश्री
गोविन्द ही है । चतुर्थ लम्ब
ग्वाले के यहाँ पलता हुआ सोमदत्त युवा हो गया। एक दिन गुणपाल किसी कार्य से गोविन्द की बस्ती में आया। उस बालक को जीवित देखकर उसे लगा कि यह मेरा शत्रु है और उसने बातों ही बातों में यह जान लिया कि यह गोविन्द का ओरस पुत्र है। उसके मारने की इच्छा से सेठ ने गोविन्द से उसके पुत्र की बहुत प्रशंसा की तो गोविन्द ने कहा कि आपका जो कार्य हो उसे वह अवश्य पूरा करेगा। एक दिन अवसर पाकर गुणपाल ने एकान्त में सोमदत्त से कहा कि आज मुझे एक आवश्यक समाचार अपने घर भेजना है 1 क्या करना चाहिए ? सेठ की बात सुनकर सोमदत्त ने कहा कि समाचार मुझे दे दीजिये में आपके घर पहुँचा दूँगा । सोमदत्त गुणपाल से पत्र लेकर शीघ्र चल दिया। थक जाने पर उसने एक वृक्ष के नीचे विश्राम किया और सो गया । उसके सो जाने पर वसन्तसेना नाम की वेश्या वहाँ से निकली । सोमदत्त के सौन्दर्य से प्रभावित होकर उसका परिचय जानने के लिए उत्सुक होकर वसन्तसेना ने उसके गले में बंधे हुए पत्र को खोलकर पढ़ा। पत्र में सेठ गुणपाल की ओर से अपनी पत्नी के लिए सन्देश था कि विषंसन्दातव्यम् अर्थात सोमदत्त को विष दे दिया जाय । वसन्त ने विचार किया कि सेठ जैसा सज्जन आदमी ऐसा अकार्य नहीं कर सकता । अवश्य ही पत्र लिखने में त्रुटि हुई है। उसने अपनी कन्या विषा के विवाह का ही आदेश दिया होगा । अतः उसने विषं सन्दातव्यम् के स्थान पर विषा सन्दातव्या लिखकर उस पत्र को उसके गले में
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