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सुदर्शनोयोदय भद्रोदय मुनि मनोरंजनाशीति सभ्यकत्व सार शतक
प्रवचन सार प्रतिरुपक हिन्दी की रचनाएं - चरित्रकाव्य -
ऋषभावतार भाग्योदय विवेकोदय
गुणसुन्दर वृत्तान्त आचार शास्त्र -
कर्तव्य पथ प्रदर्शन सचित्तविवेचन
मानव धर्म द्रव्यानुयोग -
तप्वार्थसूत्र पद्यानुवाद -
देवागम स्रोत नियमसार अष्टपाहुड़ स्वामी कुन्द कुन्द और सनातन जैन धर्म
जैन विवाह विधि दयोदयचम्पू -
प्रथम लम्ब - जम्बू द्वीप के भारतवर्ष के क्षेत्र के अन्तर्गत आर्यावर्त खण्ड में मालव नाम के प्रसिद्ध देश में उज्जयिनी नामक नगरी है। उस नगरी में वृषभदत्त नाम का राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम वृषभदत्ता था। वृषभदत्ता के राज्य में गुणपाल नाम का अति वैभवशाली राजसेठ था। उनकी पत्नि का नाम गुणश्री था। उनकी विषा नाम की एक पुत्री थी।
एक समय की बात है कि गुणमाल ने भोजन करने के पश्चात् जूठे बर्तनों को द्वार पर डाल दिया। उन जूठे बर्तनों में से एक बालक जूठन निकालकर खाने लगा। उसी समय एक मुनि अपने शिष्य के साथ वहाँ से निकले। मुनि ने अपने शिष्य से कहा कि वह गुणपाल का दामाद होगा ऐसी आश्चर्यजनक बात कही और कहा कि यह और इस नगर के सार्थवाह श्रीदत्त
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