________________
22. मुक्तावली काव्य - यह तपस्वी वर्णन परक काव्य है। इसका एक पद्य कविकण्ठाभरण का 41 वाँ श्लोक है जिसमें मोक्ष प्राप्ति के उपायों का वर्णन मिलता है।
23. मुनिमतमीमांसा - महर्षि व्यास के उपदेश का तात्पर्य वर्णन करने वाला काव्य । इसके कुछ श्लोक औचित्यविचारचर्चा में उद्धृत किये गये हैं।
24. राजाबलि : - इसमें कश्मीरी राजाओं की वंशावली को पद्यात्मक ढंग से चित्रित किया गया है।
25. रामायणमंजरी - इस काव्य में वाल्मीकि कृत रामायण का सारांक्ष प्रस्तुत किया गया है। इसको 6391 श्लोकों में संजोया गया है। इस काव्य की शैली प्रसादमयी, पदविन्यास, कोमल तथा रसपेशल, अर्थयोजना रूचिर और कल्पनापूर्ण है।
क्षेमेन्द्र ने मंगलाचरण में विष्णु भगवान् की स्तुति की है। मंगलाचरण के पश्चात् श्लोकों में वाल्मीकि तथा उनकी रामायण की प्रसंशा की है। क्षेमेन्द्र वाल्मीकि को चक्रवर्ती कवि मानते हैं।
____26. ललितरत्नमाला - वत्सराज - रत्नावली की प्रेम प्रसंग पर आधारित नाटक है।
27. लोकप्रकाश - इसमें कश्मीर के परगनों की सूची मिलती है। बहुत से लोग इस ग्रन्थ को व्यासदास क्षेमेन्द्र की ही रचना मानते हैं, लेकिन वेबर व पं. कौल' इससे सहमत नहीं है। उनका मानना है कि फारसी शब्दों की प्रचुरता के कारण किसी मुगलकालीन तृतीय श्रेणी के ग्रन्थकार की रचना
है।
28. लावण्यवती - इसमें वासन्तिका नामक कोई गणिका अत्रिवसु नामक क्षत्रिय को अंकित करती हुई बताई गयी है। इसके छः श्लोक औचित्यविचारचर्चा में उद्धृत है। '
29. वात्स्यायनसूत्रसार - वात्स्यायन के कामसूत्रों का संक्षेप में वर्णन।
30. विनयवल्ली - कुछ लोगों का मत है कि इसका नाम विनयवती है लेकिन यह गलत है क्योंकि इसका एक श्लोक यथा मम विनयंबल्याम् इस नाम से औचित्यविचारचर्चा में उदधृत है।
1. Minor works of Kshermendra, 1961, Introduction, P. 11 2. Minor works of Kshermendra, 1961, Introduction, P. 11 3. Dr Suryakanta - Kshemendra Studies, 1954, P. 25 4. देशोपदेश और नर्ममाला 1923, भूमिका, पृष्ठ 25