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ग्रन्थ को लिखा है।
9. चारूचर्या - इसमें सदाचरण की शिक्षा देने वाले सरल एवं सुन्दर एक सौ श्लोक है। प्रत्येक श्लोक की प्रथम पंक्ति में आचारतत्त्व का प्रतिपादन किया गया है, और द्वितीय पंक्ति में उस आचारतत्त्व के अनुरुप ऐतिहासिक अथवा पौराणिक कथा का दृष्टान्त दिया गया है। जैसे -
न तीव्रदीर्घ वैराणां, मन्यु मनसि रोपयेत्।
कोपनायातयन् नन्दं चाणक्य: सप्तभिर्दिनैः 10. चित्रभारत नाटक - यह महाभारत पर आधारित नाटक होगा। इस नाटक के दो श्लोक हमें कविकण्ठाभरण में और एक श्लोक औचिंत्यविचारचर्चा में मिलता है।
11. दर्पदलनः - यह उपदेशपरक काव्य है। इसमें सात अध्याय हैं उनके अलग - अलग नाम दिये हैं। जैसे प्रथम का कुलविचार, दूसरे का धनविचार, तीसरे का विद्याविचार, चौथे का रुपविचार, पाँचवे का शौर्यविचार, छठे का दानविचार तथा सातवें अध्याय का तपोविचार। इस काव्य में 596 श्लोक हैं। क्षेमेन्द्र ने मङ्गलाचरण में विवेक' को नमस्कार किया है।
12. दशावतारचरित काव्य - इस महाकाव्य में विष्णु के दशावतारों का बड़ा ही रोचक ओर विस्तृत वर्णन किया गया है। इनमें से नवें अवतार गौतमबुद्ध हैं। अन्य अवतार मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण तथा कलिक है। इसमें 1759 श्लोक हैं। इस काव्य से क्षेमेन्द्र की विष्णु - भक्ति का पता चलता है। क्षेमेन्द्र ने अपने सभी अन्य ग्रन्थों की भाँति दशावतारचरित को सवृत्ति निदर्शन का आदर्श बनाया है।
13. देशोपदेश - यह एक सामाजिक काव्य है। लोक सुधार की दृष्टि से कवि ने इस काव्य की रचना की है। कश्मीर के भ्रष्ट राज्यशासन का वर्णन है। इसमें दुर्जन वर्णन, कंदर्पवर्णन, वेश्यावर्णन, कुट्टनीवर्णन, विटतर्णन, छात्रवर्णन, वृद्धभार्यावर्णन एवं प्रकीर्णवर्णन नामक आठ उपदेश हैं। यह काव्य 298 श्लोकों में निबद्ध है। 1. चारूचर्या, श्लोक 65 2. Minor works of Kshemendra, 1961, Incroduction, P.11 3. प्रशान्ताशेषविध्नाय दर्पसर्पायसर्पणात् । सत्यामृतनिधानाय स्वप्रकाश विकासिने ॥
संसारव्यतिरेकाय हतोत्सेकाय चेतसः। प्रशमामृतसेकाय विवेकाय नमो नमः॥ 4. छासने लज्जितोऽत्यन्तं न दोषेषु प्रवर्तते । जनस्तदुपकाराय ममायं स्वयमुद्यमः॥ देशोपदेश, दुर्जनवर्णनम्। 4
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