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________________ (धनुष) गुणवान् पर (जयकुमार) के लिए तीन पीढ़ियों में विशुद्धि वाले मेरे द्वारा यह कन्या जो कि बाण का काम करने वाली है, वह दी जा रही है, अर्थात् धनुष की सफलता जिस प्रकार बाण के द्वारा होती है उसी प्रकार इस जयकुमार का त्रिवर्ग जीवन इस सुलोचना के द्वारा सफल होगा। यह पुत्री विनय युक्त है। इस प्रकार राजा की वाणी को सुनकर उसी का समर्थन करते हुए वरपक्ष के लोगों ने अपने समाज के अभ्युदय के लिए स्वीकार किया। जयकुमार के चरित्र में चमत्कार है। उसके गुणवान् बताया गया है। जयतादयतावशतो रसतोऽसौ नरेन्द्रसंयोगं य इह शारदासारधारणः पदमाभिरुचिः शुचिगः। गगननदीमद्यापसूललितां राजहंस आख्यता - .. स्तत्राम्भोजनिकायकायगतमार्गाधिरगतयातः॥ . जब जयकुमार स्वयंबर के पश्चात् सुलोचना व सेना के सहित हस्तिनापुर प्रयाण करता है तो रास्ते में गंगा नदी के तट पर विश्राम करता है। यह जयकुमार जो सरस्वती के सार को धारण करने वाला है, सुलोचना के प्रति रूचि रखने वाला है और पवित्र है राजाओं में प्रमुख गिना जाता है वह आज जब नरेन्द्र के संयोग वाली सुन्दर गंगा नदी के तट पर आया तब वहाँ के कमलों के समूहों से उसके मार्ग का खेद दूर हो गया अर्थात् वह वहाँ विश्राम करने लगा। जयकुमार के चरित्र वर्णन से कद्यांश में चमत्कार है। एक मनोहारी उदाहरण और द्रष्टव्य है - भवाभियं प्राप्य धियं श्रियंच सतामियन्तं सहकारिणं च। नीतिं स लेने चतुरङगतानां रुचां स नाथश्चतुरङगतानाम्॥ ज्ञानी जनों को प्राप्त शोभाओं के स्वामी उन जयकुमार ने संसार से निर्भय जिनेन्द्रदेव, सरस्वती, लक्ष्मी और सत्पुरुषों के सहकारी गणधर देव इन्हें प्राप्तकर इनकी स्तुति कर साम, दाम, दण्ड और भेद नामक चार अङगों के विस्तार से संहित नीति को प्राप्त किया। जयकुमार का धर्म के प्रति निष्ठा भक्ति भावना व देव पूजन से उसके चरित्र में चमत्कृति के दर्शन होते हैं जिससे कंथा वस्तु में भी चमत्कार उत्पन्न हुआ। 1. जयोदयमहाकाव्य, पूवार्ध, 13/1 16 2. वही, उत्तरार्ध 19/47
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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