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अनुग्रहीत किया जो ग्रन्थ मुझे बहुत सहायक सिद्ध हुये।
डॉ. रमेश चन्द्र जैन, रीडर एवं अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, वर्धमान कॉलेज, बिजनौर (उ. प्र.) के प्रति अपना आभार प्रकट करती हूँ जिन्होंने जैन धर्म सम्बन्धी जानकारी देकर मुझे कृतार्थ किया।
____ मैं श्री पी. डी. मित्तल, व्यवस्थापक, संचालक जैन समाज जैन मन्दिर बरेली की अति आभारी हूँ जिन्होंने मुझे अपने पुस्तकालय से बहुमूल्य एवं दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध करायी जो मेरे शोध कार्य में सहयोगी सिद्ध हुई।
डॉ. राम स्वरुप आर्य, भूतपूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष वर्धमान कॉलेज, बिजनौर की आभारी हूँ जिन्होंने सत् परामर्श और सामग्री संकलन कराने में पर्याप्त सहायता प्रदान की। मैं अपनी स्वर्गीया पूजनीया पितामही श्रीमती द्रोपदी देवी वार्ष्णेय, अपने माता - पिता तथा ज्येष्ठ भ्राता पंकज एवं संजय और सभी पारिवारिक जनों के प्रति कृतज्ञ एवं श्रद्धानत हूँ जिनके सहयोग व आशीर्वाद से यह कार्य पूर्ण हुआ।
मेरे पति श्री मनीष वार्ष्णेय तथा अन्य पारिवारिक सदस्यों ने इस कार्य को पूर्ण करने में मेरी भरपूर सहायता की। अतः मैं उन सबके प्रति हृदय से कृतज्ञ हूँ।
जिन - जिन साहित्यकारों एवं लेखकों की कृतियों को पढ़कर मैं लाभान्वित हुई और जिन गुरुजनों से इस शोध - यात्रा में सत्परामर्श और निर्देश प्राप्त होते रहे, उन सभी के प्रति मैं सश्रद्धा अपनी प्रणति निवेदित करती
अनुसन्धात्री
मोनिका वार्ष्णेय
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