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________________ सुलोचना आलम्बन विभाव, चंचल नेत्र अनुभाव, रुप सौन्दर्य उद्दीपन विभाव, लज्जा व्यभिचारी बाव है। रति स्थायी भाव होने से श्रृंगार रस की धारा प्रवाहित होती है। श्रृंगार रस का एक अन्य उदाहरण द्रष्टव्य है - भूयो विरराम करः प्रियोन्मुखः सन् रुगन्वितस्तस्याः। प्रत्याययो दृगन्तोऽप्यर्धपथा चपलताऽऽलस्यात्॥ जब सुलोचना स्वयंबर सभा में आती है तो विद्या देवी अनेकों राज्यों . के राजाओं से परिचय कराती है। अन्त में जयकुमार के पास पहुँचती है। विद्यादेवी ने जब सुलोचना के चित्त को जयकुमार के अनुकूल पाया तो वह जयकुमार के गुणों का वर्णन करने लगी। उसे सुनकर सुलोचना के हृदय में जयकुमार के प्रति और भी अतिशय प्रेम उमड़ पड़ता है और वह उसे (जयकुमार) को गले में वर माला डालना चाहती है, किन्तु उसका वरमाला वाला हाथ जयकुमार के सम्मुखहोकर भी बार-बार बीच में रुक जाता था। इसी तरह उसकी पलकें भी चपलता तथा आलस्यवश बीच रास्ते से वापस लौट आती थी। इस श्लोक में आलम्बन, उद्दीपन, अनुभावों और व्यभिचारी भावों के स्वाभाविक वर्णन से श्रृंगार रस अभिव्यक्त होता है। पुनः द्रष्टव्य है - श्लथीकृताश्लेषरसे हृदीश्वरे विनिद्रनेत्रोदयमेति भास्करे। सखीजने द्वारमुपागतेऽप्यहो चचाल नालिङगनतोऽङगना सती।। स्वयंबर के पश्चात् काशी से हस्तिनापुर प्रयाण करते समय समस्त सेना गङ्गा तट स्थित एक वन में ठहरे वहाँ रात्रि निवास किया, जब प्रातः काल हुआ, उसका वर्णन किया। ___ वल्लभ का अलिङगन प्रेम शिथि हो गया, सूर्य उदयाचल पर पहुँच गया और सहेलियाँ द्वार पर आ गई, फिर भी जागृत सती सुलोचना आलिङ्गन से चलायमान नहीं हुई। भाव यह है कि पति की निद्रा भग्न न हो जावे, इस भय से उसने आलिङ्गन नहीं छोड़ा। इस श्लोक में सुलोचना आलम्बन विभाव है, युगल दम्पत्ति के विलास 1. जयोदयमहाकाव्य, पूर्वार्ध, 6/199 2. वही, उत्तरार्ध 18/92 ... 338888888888888888880808082 48 20000-000-00000000०००-०१-03-3-80००-४०००सम स :228672 40 988888888-28-30-380823228222880 255826503633
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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