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________________ विषयम में पुरुषों के अनुकूल इष्टभाव होते ही हैं । इस श्लोक में सुलोचना के पट्ट्बन्ध विशेष का पुण्य कर्म के उदय से प्राप्त वैभवों के द्वारा समर्थन किया गया है। अर्थान्तरन्यालास के प्रयोग में कवि सिद्धहस्त है I विस्फूर्तिभृन्नृवर । किन्नवदगुरेष प्रागुत्थितो वियति शोणितकोपदेशः । श्रीसद्मनोऽनुभवतो मधुमेहपूर्ति भो राजरूग्विजयिनस्तव भाति मूर्ति: । - हे नरप्रवर! जयकुमार ! आकाश की पूर्व दिशा में उठा जो यह लाल रंग दिख रहा है, वह क्या पक्षियों की चहल पहल से युक्त वृक्ष ही नहीं हैं यह कहो । अर्थात् यह लाल लाल पल्लवों से युक्त वृक्ष ही हैं और उसके आश्रय में रहने वाले पक्षी दाना युगने के लिए इधर उधर उड़ रहे है । इधर पूर्ण विकास का अनुभव करने वाले कमल के मकरन्द की लक्ष्मी सुशोभित हो रही है। अर्थात् खिले हुए कमलों से मकरन्द निकल रहा है। और इधर चन्द्रमा की कान्ति को जीतने वाला आपका शरीर सुशोभित हो रहा है। हम सबको रूचिकर हो रहा है । तात्पर्य यह है कि चन्द्रमा निष्प्रभ हो रहा है और आपकी प्रभा बढ़ रही है । - - अर्थान्तर से इसका अर्थ इधर आकाश में जो पूर्व की ओर लाली दिख रही है वह रक्त के प्रकोप से उत्पन्न निरन्तर बढ़ने वाली उसकी दाद क्या नहीं है अर्थात् है और इधर क्षयरोग पर विजय प्राप्त करने वाला आपका शरीर मूत्रमार्ग से रोग विशेष से युक्त धनाड्य लोगों को भी अच्छा लग रहा है काश ऐसा शरीर हमें भी प्राप्त होता, फिर साधारण रोगियों की तो बात ही क्या है । कवि ज्ञान सागर जी ने अर्थान्तर से क्षयरोग और मधुमेह जैसे आधुनिक अर्थों की अवतारणा की है। प्रभात वर्णन का प्रसंग कितना प्रभाव पूर्ण हो गया है । स्तवोऽथ बोधस्य समाश्रमे तु निरीहतायाः स समस्ति हेतु: । मनोऽडिगनः कांचनाकाञ्चनाय यो वा यदर्थी स तदभ्युपायः ॥ 234 जिनेन्द्रदेव के द्वारा संसार की स्थिति का वर्णन संसारी जीव का मन सुवर्ण की स्तुति के लिए होता है, परन्तु समता के आधार भूत मुनि में 1. जयोदयमहाकाव्य, उत्तरार्ध 18/22 2. वही, 27/54
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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