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________________ एक अन्य निदर्शन दर्शनीय है - दूतवत्तु चरकार्यतत्पराः श्रोत्रिया इव च सुश्रुतादराः। यत्र ते नटवदिष्टवाग्भटा: स्मावभान्ति भिषजोऽद्भुतच्छटाः॥ वहाँ के वैद्य अपूर्व छटा वाले थे, क्योंकि वह नट की तरह वाग्भट थे अर्थात् जैसे नट बोलने में बड़ा चतुर होता है वैसे ही ये वैद्य भी अष्टांग हृदय ग्रन्थकार वाग्भटाचार्य को मानते थे। जिस प्रकार श्रोत्रिय उत्तम आगम का आदर करते हैं उसी प्रकार वहाँ के वैद्य सुश्रुत सहिताकार सुश्रुताचार्य का आदर करते थे। जिस प्रकार दूत चर कार्य तत्पर रहता है उसी प्रकार वैद्य भी चरकसंहिता कार चरकाचार्य के प्रति अनुराग रखते थे। कवि ने इस पद्य में श्लेषोपमा के द्वारा हस्तिनापुर के वैद्यों को वाग्भटाचार्य, सुश्रुताचार्य चरकाचार्य का आदर करने वाला बताया है। श्लेष की छटा निम्नलिखित श्लोक में भी देखी जा सकती है - या सभा सुरपतेरथ भूताऽसौ ततोऽपि पुनरस्ति सुपूता। साऽधरा स्फुटममर्त्यपरीताऽसौ तु मर्त्यपतिभिः परिणीता। यद्यपि सभी के रुप में इन्द्र की सभा भी प्रसिद्ध है फिर यह स्वयंबर सभा उससे भी बढ़कर है क्योंकि इन्द्र की सभा तो अधर है और अमर्त्य सहित है किन्तु यह सभा धरापर स्थित होकर मर्त्यपतियों से युक्त है। इस पद्य में अधर के दो अर्थ हैं - अधर का अर्थ नीच और धरापर स्थित न होकर आसमान में स्थित है। इसी प्रकार अमर्त्य का दो अर्थ है। अमर्त्य शब्द का अर्थ देव और मनुष्य नहीं ऐसा भी होता है। कवि ने श्लेष के द्वारा स्वयंवर सभा का सुन्दर वर्णन किया है।' कोषापेक्षी करजितवसुधोऽयं भूरिधा कथाधारः। शैलोचितकरिचयवान् इह कम्पमुपैतु रिपुसारः। कवि इसमें कलिंग राजा का वर्णन करते हुए कहता है कि यह राजा अखण्ड खजाने वाला है। सम्पूर्ण पृथ्वी से कर लेता है इस राजा की अनेक लोग अनेक तरह से कथा गाते हैं, तथा यह पर्वत के समान हाथियों के समूह वाला है। अतः इसके सामने शत्रुशिरोमणि भी काँपने लगते हैं। 1. जयोदयमहाकाव्य, 3/16 2. वही, 5/31 3. जयोदय पुर्वार्ध 6/24 206068383% 83000 22010
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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