________________
उपकार है । इसलिए हमने इस शुभक्षण के लिए सार भूत सुन्दर अंजलि बाँधी है। अर्थात् आपने अपने साक्षात्कार का जो अवसर प्रदान किया, उसके लिए में हाथ जोड़कर कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ ।
शिष्ट अर्थ भात के लिए अच्छे चावलों की प्राप्ति हुई है इसलिए प्रशंसा करता है । इसलिए मैंने उसे खाने
-
-
सूपकार - रसोइयाँ आपकी स्तुति
के लिए शीघ्र ही अंजलि बाँध रखी है।
अर्थालङकार - उपमा
साम्य वा व्यवैधम्यं वाक्यैक्य उपमा द्वयोः ।
साहित्यदर्पणकार आचार्य विश्वनाथ के अनुसार एक वाक्य में दो पदार्थों के वधर्म्य रहित, वाच्य सादृश्य को उपमा कहते हैं। पं. जगन्नाथ ने उपमा की परिभाषा इस प्रकार दी है
-सादृश्यं सुन्दरं वाक्यार्थीपरकारकमुपमालडकृतिः
उपमा के दो भेद हैं पूर्णोपमा छ: प्रकार की होती है ।
1. वाक्यगा श्रोती 2. वाक्यगा आर्थो 3. समासगा श्रोती 4. समासगा आर्थी 5. तद्वितगा श्रोती 6. तद्वितगा आर्थी ।
लुप्तोपमा के उन्नीस भेद होते हैं। दोनों के योग से पच्चीस भेद हुए । लुप्तोपमा में सात भेद और होते है । कुल मिलाकर बत्तीस हो जाते हैं । इनमें से प्रत्येक द्वारा पाँच प्रकार के अर्थो का उपकरण होता है । इस प्रकार इसके एक सौ साठ भेद होते हैं ।
1. पूर्णोपमा 2. लुप्तोपमा
जयोदय महाकाव्य में उपमा अलंकार -
-
यतश्च पदमोदयसविधानः सदा सुलेखन्वयसेव्यमानः । श्रीपञ्चाशाखः सुमनः समूहेश्वरस्य कल्पद्रुरिवास्मदू है ॥
कवि ने इस पद्य में राजा जयकुमार के गुणों की प्रशंसा करते हुए कहा
है कि सज्जनों के अधिपति उस राजा का जो पाँच अंगुलियों वाला हाथ था, वह हमारे विचार से इस धरातल पर अवतरित कल्पवृक्ष ही था । कारण वह कमल के सौभाग्य का विधान करने वाला और उत्तम रेखाओं से युक्त था । कल्पवृक्ष भी कमला के उदय को स्पष्ट करने वाला और देवताओं के 1. सा. दा. 10/14
समूह
से
2. जयोदय महाकाव्य पूर्वार्ध 1/51
201