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शैली में पाषाण के त्रिकाल चौबीसी मंदिर, सहस्रकूट आदि अनेक मंदिर । का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें जैन संस्कृति युगों - युगों तक वृद्धिंगत हो गई है।
___ पहाड़ी पर और नीचे मन्दिर निर्माण का कार्य जारी है तथा यहाँ एक विशाल गौशाला भी स्थापित हो चुकी है। पूर्ण विकास होने पर यह आशा की जाती है कि जैन विद्या का यह एक बहुत बड़ा केन्द्र बनेगा।
पूज्य मुनि श्री सुधासागर जी मेरे साहित्य प्रकाशन के बहुत बड़े प्रेरणा स्रोत रहे हैं, उनके आशीर्वाद से मुझसे संबंधित अनेक ग्रन्थ ब्यावर व सांगानेर की उपर्युक्त ग्रन्थ मालाओं से प्रकाशित हुए हैं, जिनमें कुछ के नाम इस प्रकार हैं -
1. आचार्य ज्ञानसागर द्वारा स्मृत साहित्य 2. बौद्ध दर्शन की शास्त्रीय समीक्षा । 3. आदिब्रह्मा ऋषभदेव । 4. अञ्जना पवनञ्जय नाटक । 5. अनेकान्त स्याद्वाद विमर्श । 6. सल्लेखना दर्शन . 7. जैन दर्शन में रत्नत्रय का स्वरूप (सम्पादन)
ले. डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन 8. जैन राजनैतिक चिन्तनधारा (सम्पादन)
ले. डॉ. विजयलक्ष्मी जैन 9. हे ज्ञानदीप आगम प्रणाम 10. आचार्य विद्यासागर व्यक्तित्व एवं काव्यकला (सम्पादन)
ले. डॉ. माया जैन 11. चरण पणमामि विसुद्धतंर (सम्पादन) 12. सुधासागर हिन्दी अंग्रेजी जैन शब्दकोश 13. सांख्यदर्शन की शास्त्रीय समीक्षा (सम्पादन)
ले. डॉ. शक्तिबाला कौशल 14. नगनत्व क्यों और कैसे ? (सम्पादन)
प्रवचन : मुनि श्री सुधा सागर जी
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