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________________ आचार्य संस्कृत महाविद्यालय के भवन का भी निर्माण कार्य चल रहा है। छात्रों को भोजन, आवास आदि समस्त सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाती है। ___ यहीं पर नसियाँ के एक भूखण्ड में श्री दिगम्बर जैन वीरोदय मंदिर का विशाल रूप से निर्माण किया जा रहा है, जिसमें 11 फुट उत्तंग पद्मासन वीर भगवन की प्रतिमा विराजमान की जा रही है। जिसका नाम मुनि श्री ने दिगम्बर जैन वीरोदय मंदिर रखा है तथा पूरी कॉलोनी का नाम वीरोदय नगर रखा है। पूज्यं मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज की प्रेरणा से सांगानेर में साहित्य के क्षेत्र में एक युगान्तरकारी कार्य हुआ हैं यहाँ संघी जी मन्दिर में दिगम्बर जैन साहित्य के प्रकाशन एवं विक्रय का बहुत बड़ा केन्द्र भगवान ऋषभ देव ग्रन्थमाला के नाम से स्थापित हो चुका है। जहाँ सभी प्रकार का जैन साहित्य सुलभ है। यहाँ स्थापित भगवान ऋषभ देव ग्रन्थमाला से शताधिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। पू. आचार्य ज्ञान सागर महाराज का सम्पूर्ण साहित्य यहाँसुलभ है। आधुनिक विद्वानों के लगभग 30 शोधप्रबन्ध यहाँ से प्रकाशित हो चुके है। यह संस्था आचार्य ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र ब्यावर की सहभागिनी है। ब्यावर से भी पूज्य मुनि श्री की प्रेरणा से अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। - मुनि श्री की प्रेरणा से ललितपुर साँगानेर, जयपुर, अजमेर, ब्यावर, मदनगंज, किशनगढ़, सीकर तथा अलवर आदि अनेक स्थानों पर विद्वत संगोष्ठियों का आयोजन हुआ है। इन संगोष्ठियों में सर्वाधिक जैन एवं अजैन विद्वानों ने निरन्तर कई दिन उपस्थित रहकर तथा अपने आलेखों का वाचन कर अपनी ज्ञान गरिमा का विस्तार किया है। पूज्य मुनि श्री का उद्बोधन उन्हें 'निरन्तर प्राप्त होता रहा है। महाराज श्री का जहाँ - जहाँ चातुर्मास होता है, वहाँ कम से कम दिन में एक बार तो उनके अमृतमयी प्रवचन का लाभ जनसमुदाय को मिल ही जाता है। दशलक्षण पर्व के सुअवसर पर बड़े – बड़े श्रावक संस्कार शिविरों का आयोजन तथा उसमें प्रतिदिन महाराज श्री द्वारा 7 - 7 घण्टे का उद्बोधन श्रावकों में धर्म के संस्कार जागृत कराने में सहायक होता है। पूज्य सुधासागर जी की एक और महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है - अजमेर के पास दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र, नारेली का विकास । यहाँ धर्मशाला का निर्माण हो चुका है। सरकार द्वारा प्रदत्त 300 बीघा भूखण्ड पर प्राचीन 14)
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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