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________________ इस चमत्कार का एक अन्य सुन्दर निर्दशन द्रष्टव्य है - अपि केन न वीक्ष्यते रविः शशिनीत्थं वशिनिन्दितो भवी। जनतावनतानसिन्दशो वयसेतदद्वयमेचकाः शिशो॥ इस श्लोक में जयकुमार अपने पुत्र अनन्तवीर्य को यह बताते हैं कि राज्य को किस प्रकार का आचरण करना चाहिए। हे वत्स! सूर्य किसी के द्वारा नहीं देखा जाता क्योंकि उसमें इतनी तेजस्विता होती है कि कोई उसकी और नहीं देखता तथा शान्तावस्था में रहने वाले चन्द्रमा के विषय में मनुष्य घृणित आचरण वाला हो जाता है। अतः जनता की रक्षा का सन्देश देने वाले हम लोग चन्द्रमा और सूर्य के सम्मिश्रण भाव को प्राप्त हैं। जो राजा सूर्य के समान तेजस्वी रहता है प्रजा उससे भयभीत रहने के कारण अपनी बात उससे नहीं कह पाती है ओर जो राजा चन्द्रमा के समान शान्त रहता है उसकी और से प्रजा स्वचछन्द होकर अपनी मनमानी करती है। इसलिए राजा को चाहिए कि वह न तो सर्वथा उग्र रुप अपनाये और न अत्यन्त शान्त नीति को अपनाये। इन दोनों के सम्मिश्रित रुप को ही राजा को अपनाना चाहिए। अपने पुत्र अनन्तवीर्य के प्रति कहे गये राजा जयकुमार के उक्त वचन पर भलीभाँति विचार करने पर ही रमणीयता दिखाई पड़ती है। एक न्य उदाहरण देखिए - जनलोचनशुक्तिसन्ततो विदिते स्वातिहिते महीपतो। श्रुतयाऽश्रुतया किलाभवदिह मुक्ताफलतास्त्रवो नवः।। इस श्लोक में राजा जयकुमार के गृहस्थ धर्म का त्याग करने पर प्रजाजनों की मानसिक दशा तथा शारीरिक दशा का वर्णन किया गया है। राजा जयकुमार जब आत्मसाधना रुप हित (स्वाति नक्षत्र) रुप से प्रसिद्ध हुए तब तन समूह के लोचनरुपी सीपों के समूह के लोचनरुपी वीपों के समूह से जो अश्रु समूह निकल रहा था, उससे मोतियों का नवीन नि:सरण हो रहा था। राजा जयकुमार के गृह त्यागने पर लोगों के नेत्रों से जो आँसू टपक रहे थे, वे ऐसे जान पड़ते थे मानो सीपों से मोती निकल रहे हों, क्योंकि स्वाति नक्षत्र में पानी की जो बूंद सीप में पड़ती है वह मोती बन जाती है। 1. जयोदयमहाकाव्य, 26/23 2. वही, 26/40
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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