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________________ विचार्यमाणरमणीयता का एक अन्य सुन्दर उदाहरण दृष्टव्य है - वेणूदितसम्पदोऽबलाया गुणमाप्तवाभूच्चापलतायाः। सरलं तरलं मनोवरस्य यदानडगमदहानिकरस्य॥ इस श्लोक में जयकुमार और सुलोचना के दाम्पत्य प्रेम का वर्णन है। स्वकीय सौन्दर्य से कामदेव के अहंकार को नष्ट करने वाला राजा जयकुमार सरल मन मुरली के समान मधुर स्वर वाली अथवा वंश परम्परा से प्राप्त सम्पदा से युक्त सुलोचना के सौन्ददर्यादि गुणरुप डोरी को प्राप्त कर जो चंचलता रुप चपलता धनुर्यष्टि निर्मित हुई थी, उसका लक्ष्यस्थान बन गया था। विचार करने से पता चलता है कि कुलरुपी बॉस से धनुर्यष्टिका निर्माण हुआ था, उसमें सुलोचना के गुणों ने प्रत्यंचा का काम किया था और इसका निशाना जयकुमार का सरल मन हुआ था। एक अन्य उदाहरण - निवारिता तापतया घनाघना - घना वनान्ते सूरतश्रमोदिभदः। भिंदस्तु किं वा निशि संगतात्मनां मनागपि प्रेमवतामुताहिनवा। जयकुमार ने कैलाश पर्वत की प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया है। जिस पर्वत के वन प्रान्त में सघन मेघ सूर्य के प्रभाव को दूर करने के कारण रतिक्रीड़ा सम्बन्धी श्रम को नष्ट करते रहते हैं। अतः परस्पर मिलित प्रेमी जनों के लिए रात और दिन में थोड़ा भी भेद है ? अर्थात् नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि वह वन इतना सघन है कि वहाँ सूर्य व चन्द्रमा की रोशनी आती ही नहीं है। सूर्य का ताप प्रेमी मनुष्यों के उपभोग में बाधक नहीं है। सूर्य की उष्णता का वहाँ पता ही नहीं लगता। यह विचार्यमाणरमणीय का उदाहरण है। सुनिर्मले मुष्य तटे क्वचित क्वचिन्नपत्यगुंजा भृशमुत्पतन्तिः। विभान्ति भव्यस्य किलान्तरात्मनि समुदगतारागरूषोरिवाशंकाः। कैलाश पर्वत के सौन्दर्य का निरुपण किया गया है। इस पर्वत के अत्यन्त निर्मल तट पर कहीं - कहीं जो गुमचियां बार - बार उछलती है, वे भव्यजीव की अन्तरात्मा उछलते हुए रागद्वेष के अंशों के समान सुशोभित होती है। क्योंकि गुमची लाल रंग की होती है और उसका मुख काला होता है। 1. जयोदय महाकाव्य, 22/28 2. वही, 24/19 3. वही, 24/25
SR No.006277
Book TitleAacharya Kshemendra Dwara Pratipadit Chamatkaratva ke Pariprekshya me Aacharya Gyansagar Dwara Virachit Jayoday Mahakavya ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar
PublisherDigambar Jain Dharm Prabhavna Samiti
Publication Year2001
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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