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113. दिल्ली से प्रकाशित-प्रथम नाटक 1963 ई. में और द्वितीय नाटक 1964 ई. में। 114. प्राणाहुति, गीवाणासुधा-प्रकाशन बम्बई से 1965 ई. में । 115. विस्तृत अध्ययन हेतु द्रष्टव्य-संस्कृत नाटक साहित्यः लेखक डॉ. जयकिशन प्रसाद
खण्डेलवाल-पृष्ठ 63. 116. उषापरिणय की हस्तलिखित प्रति हैदराबाद में वनपर्ती के ग्रन्थालय में विद्यमान है। 117. जाम्बती कल्याण (तंजौर) के भाण्डागार में 4366-7 हस्तलिखित हैं । 118. सरस्वती महल तजौर से प्रकाशित हुआ है। 119. इसकी हस्तलिखित प्रति डॉ. हरिसिंह गौर वि. वि. सागर के ग्रन्थालय में सुरक्षित
120. इसका प्रकाशन काव्यमाला सं. 55 में हुआ है। 121. इसका प्रकाशन केरल विश्वविद्यालय से संख्या 196 में हुआ है। 122. जबलपुर से 1964 ई. में प्रकाशित ।
इसकी हस्तलिखित प्रति उड़ीसा में दामोदरपुर के निवासी श्री गोपी नाथ मिश्र के
पास है। 124. इसकी अप्रकाशित कृति संस्कृत कॉलेज कलकत्ता में है । 125. इसका मुद्रण 1945 ई. में हुआ । 126. विस्तृत परिचय हेतु-देखिये - आधुनिक संस्कृत नाटकः डॉ. एम. जी. उपाध्याय,
प्रकाशक, विद्याविलास प्रेस, चौखम्बा वाराणसी ।