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> द्वितीय अध्याय
"बीसवीं शताब्दी में रचित जैन काव्य साहित्य' एक अन्तर्विभाजन
जीवन के बदलते सन्दर्भों और आवश्यकताओं के अनुरूप बीसवीं शताब्दी में संस्कृत भाषा में जैन विषयों पर बहु-आयामी चिन्तन परम्परा से समृद्ध काव्य - साहित्य का सृजन हुआ । इस शताब्दी के साहित्य को तीन खण्डों में विभक्त कर सकते हैं
1. मौलिक रचनाएँ
2. टीका ग्रन्थ
3. अन्य ग्रन्थ
महाकाव्य जयोदय महाकाव्यम् वीरोदय महाकाव्यम् श्रीभिक्षु महाकाव्यम् पुण्यश्री चरित महाकाव्यम्
क्षमा कल्याण चरितम् शान्ति - सिन्धु महाकाव्यम् लोकाशाह महाकाव्यम् श्री तुलसी महाकाव्यम् स्वर्णाचल महाकाव्यम्
मौलिक रचनाओं के अन्तर्गत इस काल खण्ड में विरचित महाकाव्य, खण्डकाव्य, दूतकाव्य, स्तोत्रकाव्य और शतक ग्रन्थ सम्मिलित हैं । इसके अन्तर्गत चम्पूकाव्य, श्रावकाचार तथा नीति विषयक रचनाओं के साथ ही स्फुट - रचनाओं का भी समावेश किया गया है । टीका ग्रन्थों के खण्ड में ऐसी रचनाओं का विवेचन है- जो इस शताब्दी में टीका ग्रन्थ के रूप में प्रणीत हैं । जो रचनाएँ उपर्युक्त विश्लेषण क्रम में स्थान नहीं पा सकती थीं, उन्हें अन्य ग्रन्थों के शीर्षक के अन्तर्गत विश्लेषित किया गया है ।
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विवेच्य कालखण्ड में विरचित जैन संस्कृत काव्यों की सूची निम्न प्रकार है
बाहुबली महाकाव्यम् (प्राकृत) लोकाशाह महाकाव्यम्
W
काव्य :
सुदर्शनोदय
भद्रोदय शान्तिसुधासिन्धु
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I
आचार्य ज्ञानसागर
आचार्य ज्ञानसागर
मुनि नथमल
पं. नित्यानन्द शास्त्री
पं. नित्यानन्द शास्त्री
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आचार्य घासीलाल
आचार्य घासीलाल
पं. रघुनन्दन शर्मा बालचन्द्र जैन डा. उदयचन्द्र जैन पं. मूलचन्द शास्त्री
आचार्य ज्ञानसागर
आचार्य ज्ञानसागर
आचार्य कुन्थुसागर
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