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________________ 176 प्रस्तुत रचनाकार की चौथी स्फुट रचना आठ श्लोक मय है । इसका विषय है- ब्र. पण्डित चन्दाबाई के प्रति श्रद्धाञ्जलि 17124 - प्रस्तुत रचना में ब्र. चन्दाबाई जी का संक्षिप्त परिचय दर्शाते हुए कवि ने उन्हें बाला विश्राम आरा की संस्थापिका तथा महिलादर्श की सम्पादिका के रूप में नारी- शिरोमणि माना है । वे विदुषी थीं । कवि ने बाई जी की इन विशेषताओं का निम्न प्रकार उल्लेख किया है - प्रान्ते यस्मिन्नभूद्वीर आरा पूस्तत्र राजते । बालाविश्रामतो यस्या नाम को नावगच्छति ॥ संस्थाया जननी चन्दाबाई नारी - शिरोमणिः । विदुषी महिलादर्श - पत्रसम्पादिका तथा ॥ अन्त में कवि ने बाई जी के दीर्घायुष्य की कामना करते हुए लिखा है कि जब तक आकाश में सूर्य-चन्द्र सुशोभित हो रहे हैं तब तक भारत वर्ष में चन्दाबाई जी विभूषित रहें । कवि ने लिखा है यावद् वानि नभस्वान् भाति विवस्वान् विभासते हिमगुः । तावच्चन्दाबाई भारतवर्षं विभूषयतु | बं. पं. सच्चिदानन्द वर्णी आपका पूरा नाम ब्र. पण्डित सरदारमल जैन, 'सच्चिदानन्द' था । आपका जन्म सम्वत् 195 में ज्येष्ठा शुक्ला चतुर्दशी शनिवार के दिन हुआ था । विदिशा आपकी जन्मभूमि है। श्रीमन हुकुमचन्द्र जी 'वैद्यरत्न' आपके पिता और श्रीमती मूगाबाई माता थी । क्षुल्लक नमिसागर महारा से आपने पाक्षिक श्रावक के व्रत सम्वत् 1983 में ले लिये थे। संवत् 2010 में क्षुल्लक गणेशप्रसाद वर्णी जी से आपने व्रत प्रतिमाह और सम्वत् 2013 में ब्रह्मचर्य प्रतिमा ली थी । अनेक ग्रन्थों का आपने अनुवाद किया है । अनेक लेख लिखे हैं । 125 संस्कृत भाषा में लिखने की भी आपकी रुचि थी । द्रष्टव्य है आपका 'शुद्धात्मा स्तवन' इस रचना में नौ श्लोक हैं ।26 प्रत्येक श्लोक के तृतीय चरण में आपने सच्चिदानन्द नाम से अर्हन्त भगवान की दना की है । आपने सच्चिदानन्द का अर्थ सत् = शक्ति, चित् = ज्ञन, दर्शन, आनन्द= सुख रूप अनन्तचतुष्टय किया है। उन्होंने सच्चिदानन्द को शिवरूप, ज्ञानानंद और सहजानन्द का आगार बताया है - सहजानन्द ज्ञानानन्द शिवरूपं वन्देऽहं सच्चिदानन्द सत् चित् आनन्द - निकेतनम् । दायकम् ॥ इस अर्थ की उनके ही एक श्लोक में अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने सच्चिदानन्द को अमल, विमल, निरामय, और मुक्त्यानन्द तथा अनन्त सुख का प्रदायी बताया है। उन्होंने लिखा है अमलं विमलं रूपं मुक्त्यानन्द वन्देऽहं सच्चिदानन्दा ममलसौख्य निरामयम् । प्रदायकम् ॥ पं. श्री गोपीलाल 'अमर' आपका जन्म सागर जिले की बण्डा तहसील के पड़वार ग्राम में आज से लगभग पचपन वर्ष पहले एक सवाई सिंघई गोलापूर्व परिवार में हुआ था। श्री रामलाल जी आपके
SR No.006275
Book Title20 Vi Shatabdi Ke Jain Manishiyo Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendrasinh Rajput
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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