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71. जैनसाधना के मनोवैज्ञानिक आधार (210918), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
72. जैनसाधना में प्रणव का स्थान (210926 ), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
73. जैन साधना का त्रिविध साधना मार्ग (210971), नानचन्दजी जन्म शताब्दी स्मृति ग्रन्थ
74. जैनदर्शन में सत् का स्वरूप (210983), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
75. जैनधर्म का लेश्या सिद्धान्तः एक मनोवैज्ञानिक विमर्श (211000), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
76. जैनधर्म के मूल तत्त्व ( 211003), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
77. जैनधर्म में अहिंसा की अवधारणा : एक विश्लेषण ( 211010), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
78. जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा ( 211015), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
79. जैनधर्म में नैतिक और धार्मिक कर्त्तव्यता का स्वरूप ( 211017), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
80. जैनधर्म में पूजा विधान और धार्मिक अनुष्ठान (211018), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
81. जैनधर्म में प्रायश्चित एवं दण्ड व्यवस्था ( 211019), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
82. जैनधर्म में भक्ति की अवधारणा ( 211020), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
83. जैनधर्म में मुक्ति की अवधारणा ( 211023), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
84. जैनधर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्नान (211031), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
85. जैन नीति दर्शन की सामाजिक सार्थकता (211031), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
86. जैनसाहित्य में स्तूप, सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी 87. जैनागम साहित्य में स्तूप ( 211048 ), बेचरदास डोसी अभिनन्दन ग्रन्थ सागरमल जीवनवृत्त
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