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88. जैनागमों में समाधिमरण की अवधारणा (211052), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
89. ज्ञान और कथन की सत्यता का प्रश्न : जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में, परामर्श, जून 1983
90. तन्त्रसाधना और जैन जीवन दृष्टि ( 211103), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
91. तार्किक शिरोमणि आचार्य सिद्धसेनदिवाकर ( 211118 ), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
92. दशलक्षणपर्व : दशलक्षण धर्म (211156), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
93. धर्म क्या है ?, श्रमण, जनवरी, फरवरी और मार्च 1990
94. धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र की सहिष्णुता ( 211191), उमरावकुँवरजी दीक्षा स्वर्ण जयन्ती स्मृति ग्रन्थ
95. धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान, श्रमण, अक्टूबर 1986 96. धर्म का मर्म: जैन दृष्टि ( 211194 ), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा. वि. वाराणसी
97. धार्मिक सहिष्णुता और जैनधर्म (211215), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
98. नियुक्ति साहित्य एक पुनर्चिन्तन ( 211277 ), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
99. निश्चय और व्यवहार किसका आश्रय लें ? (211281), आनन्द ऋषि अभिनन्दन
ग्रन्थ
100. नीति के मानवतावादी सिद्धान्त और जैन आचार दर्शन ( 211286), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
101. नीति के निरपेक्ष और सापेक्ष तत्त्व, दार्शनिक त्रैमासिक, अप्रैल 1976 102. नैतिक मूल्यों की परिवर्तनशीलता ( 211294), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
103. नैतिक मानदण्ड : एक या अनेक ?, दार्शनिक त्रैमासिक, जनवरी 1980 104. महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य के द्वारा सम्पादित एवं अनुदित षड्दर्शनसमुच्चय की समीक्षा (211300), महेन्द्र कुमार जैन शास्त्री न्यायचन्द्र, स्मृति ग्रन्थ 105. पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या और जैनधर्म (211323), सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी
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जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान