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2. मिच्छादिट्ठी सासायणे य तह सम्ममिच्छादिट्ठी य।
अविरयसम्मदिट्ठी विरयाविरए पमत्ते य।। तत्तो य अप्पतमत्तो नियट्ठिअनियठिबायरे सुहुमे। उवसंतखीणमोहे होइ सजोगी अजोगी य।।
___ - नियुक्ति संग्रह (आवश्यकनियुक्ति), पृ. 149 3. चोद्दसहिं भूयगामेहिं .... बीसाए असमाहिठाणेहि।।
___- आवश्यकनियुक्ति (हरिभद्र) भाग 2, प्रका. श्री भेरूलाल कन्हैयालाल कोगरी
धार्मिक ट्रस्ट, मुम्बई, वीर सं. 2508; पृष्ठ 106-107 4. तत्थ इमातिं चोद्दस गुणट्ठाणाणि ..... अजोगिकेवली नाम सलेसीपडिवन्नओ, सो यह तीहिं
जोगेहिं विरहितो जाव कखगघड. इच्चेताई पंचहस्सक्खराई उच्चरिज्जति एवतियं कालमजोगिकेवली भवितूण ताहे सव्वकम्मविणिमुक्की सिद्ध भवति।।
__- आवश्यकचूर्णि (जिनदासगणि), उत्तर भाग, पृ. 133-136, रतलाम, 1929. 5. एदेसि चेव चोद्दसण्हं जीवसमासाण परूवणट्ठदाए तत्थ इमाणि अट्ठ अणियोगद्धा राणि णायव्वाणि भवंति .... मिच्छादिट्ठि .... सजोगकेवली अजोगकेवली सिद्ध चेदि।
- षट्खण्डागम (सत्प्ररूपणा), पृ. 154-201 प्रका. जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर (पुस्तक) द्वि. सं. सन् 1973 6. मिक्छादिट्ठी सासादणो य मिस्सो असंजदो चेच।
देसविरदो पमत्तो अपमत्तो तह य णायव्वो।।154 ।। एत्तो अपुव्वकरणो आणियट्ठी सुहुमसंपराओ य। उवसंत्खीणमोहो सजोगिकेवलिजिणो अजोगी य।155 ।। सुरणारयेसु चत्तारि होति तिरियेसु जाण पंचेव । मणुसगदीएवि तहा चोद्दसगुणणामद्येयाणि ।।159।।
___ - मूलाचार (पर्याप्त्यधिकार), पृ. 273-279; माणिकचन्द-दिगम्बर ग्रन्थमाला (23),
बम्बई, वि.सं. 1980 7. अध खवयसेढिमधिगम्म कुणइ साधू अपव्वकरणं सो।
होइ तमपुव्वकरणं कयाइ अप्पत्तपुवंति।।2087।।
अणिवित्तिकरणणामं णवमं गुणठाणयं च अधिगम्म। णिछाणिछा पयलापयला तध धीणगिद्धिं च ।।2088 ।।
___- भगवती आराधना, भाग 2 (सम्पा. कैलाशंचद्र सिद्धान्तशास्त्री) पृ.890 (विशेष
विवरण) हेतु देखें गाथा-2072 से 2126 तक 8. सवार्थसिद्धि (पूज्यपाद देवनन्दी) सूत्र 1/8 की टीका, पृ. 30-40, 9-13 की टीका, ___भारतीय ज्ञानपीठ, काशी 1955. 9. राजवार्तिक (भट्ठ अकलंक) 9/10/11 पृ. 588. 10. तत्त्वार्थ श्लोकवार्तिकम् (विद्यानन्दी), निर्णयसागर प्रेस सन् 1918. देखें -
गुणस्थानापेक्ष...। 10/3;... गुणस्थानभेदेन... 9/36/4, पृ. 503,... अपूर्वकरणादीनां... ।
9/37/2; विशेष विवरण हेतु देखें- 9/34-44 तक की सम्पूर्ण व्याख्या। 11. आवश्यकचूर्णि (जिनदासगणि), उत्तर भाग, पृ.133-136।
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जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान