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4. सेयम्बरो य आसम्बरो य बुद्धो य अहव अण्णो वा। समभाव भाविअप्पा लहइ मुक्खं न
__ संदेहो।। -वही, 1/3 5. नामाइ चउप्पभेओ भणिओ। -वही, 1/5 (व्याख्या लेखक की अपनी है) 6. तक्काइ जोय करणा खोरं पयर्ड घयं जहा हुज्जा। वही, 1/7 7. भावमयं तं मग्गो तस्स विसुद्धीइ हेउणो भणिया। -वही, 1/11 पूर्वार्द्ध 8. तम्मि य पढमे सुद्धे सव्वाणि तयणुसाराणि। -वही, 1/10 9. वही, 1/99-104 10. वही, 1/108 11. वही, 2/10, 13, 32, 33, 34, 12. वही, 2/34, 35, 36, 42, 46, 49, 50, 52, 56, 57, 58, 59, 60, 61, 62-74,
88-92 13. वही, 2/20 14. जह असुइ ठाणंपडिया चंपकमाला न कीरते सीसे। पासत्थाइठाणे वट्टमाणा इह अपुज्जा।
-वही, 2/22 15. जइ चरिउ नो सक्को सुद्धं जइलिंग महवपूयट्ठी। तो गिहिलिंग गिण्हे नो लिंगी
पूयणारहिओ। -वही, 1/275 16. एयारिसाण दुस्सीलयाण साहुपिसायाण मत्ति पूव्वं । जे वंदण नमसाइ कुव्वंति न
महापावा? वही, 1/114 17. सुहसीलाओ स्वछंदचारिण वेरिणो सिवपहस्स।
आणाभट्टाओ बहुजणाओ मा भणह संवुत्ति।। देवाइ दव्वभक्खणतप्परा तह उमग्रपक्खकरा। साहु जणाणपओसं कारिणं माभणह संघं।। अहम्म अनीई अणायार सेविणो धम्मनीइं पडिकूला। साहुपभिइ चउरो वि बहुया अवि मा भणह संघ।। असघं संघजे भणति रागेण अहव दोसण।
छेओ वा मूहत्तं पच्छित्तं जायए तेसिं । वही, 1/119, 120, 121, 123, 18. गब्भपवेसी वि वरं भद्दवरो नरयवास पासो वि। ___मा जिण आणा लोवकरे वसणं नाम संघे वि।। वही 2/132 19. वही, 2/103 20. वही, 2/104 21. वेसागिहेसु गमणं जहा निसिद्धं सकुल बहुयाणं।
तह हीणायार जइ जण संग सड्ढाण पडिसिद्ध।। परं दिछिी विसो सपो वरं हलाहलं विसं। हीणाया अगीयत्थ वयण पसंग खुणो भद्दो।।
-वही, श्रावक धर्माधिकार 2,3 22. वही, 2/77-78
जैन धर्मदर्शन
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