________________
ये आत्मा की सर्वश्रेष्ठ या परम आदर्श प्रकृति अर्थात सत्यं शिवं और सुन्दरं की अभिरूचियों को तृप्ति प्रदान करते हैं तथा जैविक एवं सामाजिक मूल्यों से श्रेष्ठ कोटि के हैं ।
तुलनात्मक दृष्टि से भारतीय दर्शनों के पुरुषार्थ चतुष्टय में अर्थ और काम जैविक मूल्य 'हैं और धर्म और मोक्ष अतिजैविक मूल्य हैं । अरबन ने जैविक मूल्यों में आर्थिक, शारीरिक और मनोरंजनात्मक मूल्य माने हैं । इनमें आर्थिक मूल्य अर्थ - पुरुषार्थ तथा शारीरिक और मनोरंजनात्मक मूल्य कामपुरुषार्थ के समान है। अरबन के द्वारा अतिजैविक मूल्यों सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्य माने गये हैं । उनमें सामाजिक मूल्य धर्मपुरुषार्थ से ओर आध्यात्मिक मूल्य मोक्षपुरुषार्थ से सम्बन्धित हैं । जिस प्रकार अरबन ने मूल्यों में सबसे नीचे आर्थिक मूल्य माने हैं, उसी प्रकार भारतीय दर्शन में भी अर्थपुरुषार्थ को तारतम्य की दृष्टि से सबसे नीचे माना है.
जिस प्रकार अरबन के दर्शन में शारीरिक और मनोरंजन सम्बन्धी मूल्यों का स्थान आर्थिक मूल्यों से ऊपर, लेकिन सामाजिक मूल्यों से नीचे है उसी प्रकार भारतीय दर्शन में भी कामपुरुषार्थ अर्थपुरुषार्थ से ऊपर लेकिन धर्मपुरुषार्थ से नीचे है । जिस प्रकार अरबन ने आध्यात्मिक मूल्यों को सर्वोच्च माना है, उसी प्रकार भारतीय दर्शन में भी मोक्ष को सर्वोच्च पुरुषार्थ माना गया है। अरबन के दृष्टिकोण की भारतीय चिन्तन से कितनी अधिक निकटता है, इसे निम्न तालिका से समझा जा सकता हैं
पाश्चात्य दृष्टिकोण
जैन दृष्टिकोण
मूल्य
जैविक मूल्य
1. आर्थिक मूल्य
2. शारीरिक मूल्य 3. मनोरंजनात्मक
सामाजिक मूल्य
4. संगठनात्मक मूल्य
5. चारित्रिक मूल्य आध्यात्मिक मूल्य
6. कलात्मक
7. बौद्धिक 8. धार्मिक
316
भारतीय दृष्टिकोण पुरुषार्थ
अर्थपुरुषार्थ
कामपुरुषार्थ
कामपुरुषार्थ
धर्मपुरुषार्थ
धर्मपुरुषार्थ
मोक्ष
आनन्द (संकल्प)
चित् (ज्ञान)
सत् (भाव)
अर्थ
काम
काम
व्यवहारधर्म निश्चय धर्म
मोक्ष पुष
अनन्त सुख एवं शक्ति
अनन्तज्ञान
अनन्तदर्शन
जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान