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________________ २०२ जैन दर्शन और संस्कृति समस्याएं भी सुलझती हैं। उनकी अहिंसा कायर की अहिंसा नहीं है, वह योद्धा की अहिंसा है, अभय और पराक्रम उसके साथ जुड़े हुए हैं। उनकी निवृत्ति अकर्मण्यता नहीं है, वह कर्म के परिष्कार की अजेय शक्ति और मानसिक शक्ति का महान् साधन है। आज भी उनकी वाणी मे विश्व-शांति के पथ-दर्शन की क्षमता है, इसलिए हम सब उनके प्रति प्रणत हैं। अभ्यास १. भगवान् महावीर का संक्षिप्त परिचय दें। . २. “भगवान् महावीर की साधना वस्तुत: एक वीर पुरुष की साधना थी", इसे सिद्ध करें। ३. भगवान् महावीर द्वारा स्थापित धर्म-संघ का स्वरूप और उसकी व्यवस्था को विस्तार से समझाएं। ४. भगवान् महावीर के युग की धार्मिक परिस्थितियों का वर्णन करें। ५. भगवान् महावीर के मुख्य सिद्धान्त कौन-कौन से थे? ६. भगवान् महावीर ने ईश्वर के स्थान पर मनुष्य को किस प्रकार प्रतिष्ठित किया? ----- ७. भगवान् महावीर ने धर्म की व्यापक धारणा को किस रूप में प्रस्तुत किया था। ८. क्या सम्प्रदाय-विहीन धर्म भी हो सकता है? भगवान महावीर के विचारों के आधार पर इसे स्पष्ट करें । 000
SR No.006270
Book TitleJain Darshan Aur Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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