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मैं कौन हूँ ?
बद्ध और मुक्त
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आत्मा दो प्रकार की है - बद्ध आत्मा और मुक्त आत्मा । कर्मबन्धन टूटने से जिनका आत्मीय स्वरूप प्रकट हो जाता है, वे मुक्त आत्माएं होती हैं । वे भी अनन्त हैं। उनके शरीर एवं शरीर-जन्य क्रिया, जन्म-मृत्यु आदि कुछ भी नहीं होते । वे आत्म-रूप हो जाती हैं । अतएव उन्हें सत्-चित्-आनन्द कहा जाता है 1 जो संसारी आत्माएं हैं, वे कर्म-बद्ध होने के कारण अनेक योनियों में परिभ्रमण करती हैं, कर्म करती हैं और उनका फल भोगती हैं । ये मुक्त आत्माओं से अनन्तानन्त गुनी होती हैं । मुक्त आत्माओं का अस्तित्व पृथक्-पृथक् होता है, तथापि उनके स्वरूप में पूर्ण समता होती है । संसारी जीवों में भी स्वरूप की दृष्टि से ऐक्य होता है किन्तु वह कर्म से आवृत रहता है और कर्मकृत भिन्नता से वे विविध वर्गों में बंट जाते हैं, जैसे पृथ्वीकायिक जीव, अप्कायिक जीव आदि जीवों के छह निकाय । ये शारीरिक परमाणुओं की भिन्नता के अनुसार हैं। सब जीवों के शरीर एक-से नहीं होते । किन्हीं जीवों का शरीर पृथ्वी होता है, तो किन्हीं का पानी। इस प्रकार पृथक्-पृथक् परमाणुओं के शरीर बनते हैं । इनमें पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय और वायुकाय के असंख्यात, वनस्पतिकाय के अनन्त तथा त्रसकाय के असंख्यात जीव होते हैं ।
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त्रसंकाय के जीव स्थूल ही होते हैं। शेष पाँच निकाय के जीव स्थूल और 'सूक्ष्म - दोनों प्रकार के होते हैं । सूक्ष्म जीवों से समूचा लोक भरा है । स्थूल जीव भूमि आदि आधार बिना नहीं रह सकते; अतः वे लोक के थोड़े भाग हैं I
एक-एक काय में कितने जीव हैं, यह उपमा के द्वारा समझाया गया है— एक हरे आंवले के समान मिट्टी के ढेले में जो पृथ्वी के जीव हैं, उन सब में से प्रत्येक का शरीर कबूतर जितना बड़ा किया जाए, तो वे एक लाख योजन लम्बे-चौड़े जम्बूद्वीप में नहीं समाते ।
पानी की बूंद में जितने जीव हैं, उनमें से प्रत्येक का शरीर सरसों के दाने के समान बनाया जाए, तो वे उक्त जम्बूद्वीप में नहीं समाते । एक चिनगारी के जीवों में से प्रत्येक के
शरीर को लीख के समान किया
जाए, तो वे भी जम्बूद्वीप में नहीं समाते ।
नीम के पत्ते को छूने वाली हवा में जितने जीव हैं, उन सब में से प्रत्येक के शरीर को खस-खस के दानों के समान किया जाए तो वे जम्बूद्वीप में नहीं समाते । आधुनिक विज्ञान के अनुसार सूक्ष्म जीवाणु, कीटाणु, विषाणु आदि बहुसंख्या में उत्पन्न होते हैं। एक आलपिन के सिरे जितने स्थान में १००००० सूक्ष्म जीव समा जाते हैं ।