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भाद्रपद मास तो जैन धर्मावलम्बियों का धर्म-मास ही कहलाता है । अन्य लोग भी जैनियों से यही कहते है कि अब तो भादवा आ गया है, आप लोग धर्म में लगेंगे ।
जो महत्त्व मुसलमानों के लिए रमजान के महीने का है, वह जैनों के लिए भाद्रपद मास का है । रमजान के महीने में मुस्लिम भाई रोजे (उपवास) रखते हैं तो भाद्रपद में जैनों के व्रत उपवास चलते हैं । रमजान के बाद मुसलमानों की ईद आती है, जिसमें वे लोग परस्पर मिलते हैं, अपराधों की माफी माँगते हैं और भाईचारा बढ़ाते हैं । संवत्सरी के दिन सभी जैन आबाल-वृद्ध खमत-खामणा करते हैं, वैर-विरोध मिटाते हैं और परस्पर गले मिलते हैं ।
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