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इसी प्रकार की परम्पराएँ वैदिक धर्म में भी हैं और यहाँ तक कि पश्चिमी जगत ईसाई मतालम्बियों में भी हैं । यह बात दूसरी है कि भौगोलिक परिस्थितियों तथा वातावरण की भिन्नता के कारण कहीं ऐसे पर्व शीत ऋतु में मनाये जाते हैं तो कहीं ग्रीष्म ऋतु में ।
"भद्र" शब्द से भी "भाद्र" बनता है। भद्र का अर्थ होता है मंगल और कल्याणकारी । भद्र सरल को भी कहते हैं। भद्रता का भाव लिये भाद्रपद आता है। भाद्रपद तो धर्म मास ही है । इसी मास में सर्वाधिक धर्मसाधना होती है । पर्युषण और संवत्सरी जैसे महापर्व इसी मास में आते हैं । दिगम्बर समाज का दशलक्षणी पर्व भी इसी मास में मनाया जाता है । सम्पूर्ण जैन समाज में धर्मोत्साह छा जाता
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