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(४८) करने का निर्देश दिया गया है; इसका अभिप्राय ऐसा नहीं है कि साधुजी और उपाध्यायजी के आत्म-परिणाम अथवा भावलेश्या कृष्ण अथवा नीललेश्या रूप होते हैं, इनकी भावलेश्या तो निश्चित ही धर्मलेश्या होती हैं ।
यहाँ साधना में जो रंगों का संयोजन किया गया है; उसके दो अभिप्राय हैं- एक, ध्यान को आलम्बन प्रदान करना और दूसरा विभिन्न रंगों का वह प्रभाव जो मन से आत्मा पर पड़ता है ।
साधना की आवश्यक बातें
नमोकार मंत्र की साधना की पूर्वपीठिका के रूप में कुछ सावधानियाँ और विशेष बातें ध्यान में रखनी आवश्यक हैं ।
(१) द्रव्य शुद्धि - शरीर मलिन न हो, साफ हो; इसी प्रकार वस्त्र, आसन, बिछाने का