________________
बोलता गया, तो वह केवल तोता रटन्त हो जायेगा । सिखाने पर तोता भी राम-राम बोलता है; किन्तु उसका यह बोलना उपचार मात्र है, उसे इसका कोई विशेष फल नहीं मिलता ।
इसी तरह सामायिक साधना में पाठों, स्तोत्रों आदि के साथ चित्त की वृत्तियाँ भी संलग्न होनी चाहिए । यह संलग्नता जितनी गहरी होती जायेगी, उतना ही वृत्तियों में परिवर्तन होता जायेगा । उसका प्रभाव जीवन में परिलक्षित होगा ।
शास्त्रों में कहा गया है - सामायिक साधना से क्रोध आदि कषाय और इन्द्रिय-विषयों की तीव्रता कम होती है, धीरे-धीरे साम्यावस्था की उपलब्धि साधक को होती है ।
वैज्ञानिक मान आदि विकारों और
(५७)