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________________ (४६) भक्ष्य-अभक्ष्यः ___ आहार में भक्ष्य और अभक्ष्य ये दो शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण हैं । भक्ष्य का अभिप्राय है, जो पदार्थ खाने योग्य हैं अथवा जैन श्रावक जिन पदार्थों को खा सकता है । इसके विपरीत अभक्ष्य उन पदार्थों को कहा जाता है जिनका उपयोग करना श्रावक के लिए उचित नहीं माना जाता । श्रावक को ऐसे पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए। __ ग्रन्थों में अभक्ष्यों की संख्या २२ बताई गई है, लेकिन अभक्ष्य पदार्थ तो अनेक प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण के लिए-संसाधित आहार (तैयार आहार अथवा डिब्बा बंद आहार) को लिया जा सकता है । यद्यपि यह आहार शाकाहार की सीमा में आता है, मांस आदि का प्रयोग इसमें नहीं होता, वायुरोधी
SR No.006263
Book TitleAahar Aur Aarogya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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