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जहरीला भोजन खाने से १५०-२०० व्यक्ति मर गये।
भोजन में जो पूड़ियां बनी थीं. उनके गेहूँ में कीट नाशक दवा मिली थी, जो बिना साफ किये ही आटा पिसवा लिया जिससे गेहूँ का आटा विषाक्त हो गया, वही रिश्तेदारों, मित्रों व स्वयं की मौत का कारण बन गया। २. रसोईघर स्वच्छ तो हो ही, साथ में उसमें प्रकाश और स्वच्छ वायु का निराबाध आवागमन होता रहे जिससे जीव-जन्तु स्पष्ट दिखाई दे सकें । जैन रसोईघर में साधु-साध्वी आदि सगमता से आ सकें और श्रावकों व गृहस्वामी तथा घर के सभी सदस्य सुपात्रदान का लाभ ले सकें । ३. तीसरी शुद्धि है काल शुद्धि । काल शुद्धि का अभिप्राय है- भोजन दिन में ही बना