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(४३) तरह साफ किये हुए हों, अनाज को (गेंहूँ आदि को) अच्छी तरह छान-बीनकर, कंकड़ आदि साफ करके उसे पिसवाया गया हो। इसी प्रकार शाक-सब्जी आदि अच्छी तरह देखभाल कर सुधारी हो । मसाले आदि तथा तेल-घी जितनी वस्तुएं भोजन में प्रयोग की जाती हैं, सभी शुद्ध हों, चावल, गेहूँ आदि में प्रायः इली (छोटी लटें) पड़ जाती हैं, अगर ये भोजन के साथ ही पेट में चली जाती हैं तो शुद्ध भोजन को भी विषाक्त और रोगकारी बना देती हैं । गेंहूँ में मिट्टी, कंकड आदि भी पथरी बनाते हैं । इसलिए खाद्य पदार्थ की शुद्धि से मतलब है वस्तुओं को साफ व जीव रहित रखें।
दिनांक १५ अप्रैल (१९९०) के समाचार पत्रों में पढ़ा कि बस्ती जिला (उ. प्र.) में एक गांव में तिलक समारोह की दावत में