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मांसाहारियों का पैशाब तेजाब युक्त अधिक होता है । जिससे शरीर के खून का तेजाब और क्षार के बीच का अनुपात बिगड़ जाता है इससे हड्डियां कमजोर पड़ती हैं। मांसाहार से मनुष्य का स्वभाव बिगड़ जाता है । तामसी वृत्ति बढ़ती है, कलह, लूट-खसोट, हत्या आदि की भावनाओं को उभारने में मांसाहार जिम्मेदार होता है। मासाहारी स्वभाव से क्रूर, दुःसाहसी, डरपोक, कामी, क्रोधी चिड़चिड़ा और आलसी होता है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार- मांसाहार शाकाहार की अपेक्षा मंहगा तो है ही, दुष्पाच्य भी है । एक मांसाहारी मानव सात शाकाहारियों का भोजन खा जाता है अथवा एक मांसाहारी के भोजन पर जितना खर्च होता है