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(३४) उतने में सात शाकाहारियों का पेट
भर सकता है। शाकाहार में भी विवेक :
उपर्युक्त विवेचन से यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि शाकाहार ही मानव के लिए श्रेष्ठ और सर्वांगपूर्ण है, आरोग्यतावर्द्धक है । लेकिन इसमें भी विवेक रखना आवश्यक है।
सभी जानते हैं कि दूध, घी, फल आदि पौष्टिक हैं, शरीर की कार्यक्षमता और नीरोगता बनाए रखते हैं किन्तु इनका सेवन यदि अधिक मात्रा में किया जाय या अनुचित रूप से किया जाय तो ये भी रोगवर्धक बन जाते हैं-जैसे अधिक मात्रा में घी के प्रयोग से कोलस्टेरोल बढ़ जाता है, जो हृदय-रोग, हार्ट फेल, हार्ट अटेक का प्रमुख कारण बनता है।
शाकाहार में भी विवेक योग्य है : १. अति गरिष्ठ