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________________ 38... शंका नवि चित्त धरिये! क्या है तथा इसका शास्त्रीय उल्लेख कहाँ प्राप्त होता है। समाधान- मिट्टी से बनी हुई प्रतिमाजी की पूजा की जा सकती है, किन्तु उनकी प्रक्षाल अर्थात जल पूजा आदि नहीं करना चाहिए। चैत्यवंदन महाभाष्य, श्राद्ध विधि आदि ग्रन्थों में इसका उल्लेख प्राप्त होता है। जल पूजा, चंदन पूजा आदि से इनके विखंडित होने का भय एवं संभावना रहती है। वर्तमान में इन प्रतिमाओं का प्रचलन नहीं है। शंका- जिन प्रतिमा का प्रक्षाल करते समय वालाकुंची का प्रयोग करना शास्त्रीय है? इसका कोई विकल्प है या नहीं? ___समाधान- प्रतिमा का प्रक्षाल करने के पश्चात जरूरी साफ-सफाई हेतु वालाकुंची उपयोग करने का विधान शास्त्रीय है। परंतु इसके उपयोग में विवेक रखना अत्यावश्यक है। इसे हाथ में लेकर बर्तनों की भाँति फटाफट सफाई करने की अपेक्षा आँख में गए हुए कचरे को या दाँत में फंसे हुए कण को निकालने में जितनी सावधानी और कोमलता रखी जाती है उससे भी अधिक सतर्कता एवं बहुमान पूर्वक प्रतिमा पर लगे हुए चंदन-केसर आदि निर्माल्य दूर करने चाहिए। ___मुलायम एवं पतले अंगलूंछण वस्त्र को पानी में भीगाकर बार-बार उसके द्वारा प्रतिमा को साफ करके भी बासी केसर को उतारा जा सकता है। तदनंतर आवश्यकता हो तो कुशलता पूर्वक वालाकुंची का प्रयोग करना चाहिए। अन्यथा यही आराधना के हेतु विराधना के कारण बन जाते हैं। शंका- प्रक्षाल हेतु कौनसे जल का प्रयोग करना चाहिए? समाधान- शास्त्रोक्त वर्णन के अनुसार तीर्थों का जल, नदी-सरोवर, द्रहकुंड-कुएँ आदि का शुद्ध जल, टंकी में संग्रहीत वर्षा आदि का जल प्रक्षाल हेतु शुद्ध माने गए हैं। रसायन, मशीन आदि से शुद्ध किए हुए जल एवं क्षार तत्त्वादि से युक्त जल का उपयोग प्रक्षाल हेतु नहीं करना चाहिए। पूजा में उपयोगी जल को बिल्कुल जयणा पूर्वक गलना आदि से छानकर ही काम में लेना चाहिए। शंका- जिनेश्वर परमात्मा की द्रव्य पूजा क्यों करनी चाहिए? समाधान- महोपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराज ने प्रतिमाशतक ग्रंथ में द्रव्य पूजा के पाँच लाभ बताये हैं 1. धन संपत्ति की तृष्णा का क्षय होने से अपरिग्रह व्रत दृढ़ होता है।
SR No.006260
Book TitleShanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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